सिंधु से कह दिया
सिंधु से कह दिया..
सिंधु से बोल आया, नहीं तुम बड़े;
तुम मगरूरियों में भले हो पड़े ।
भले जाते आते बने ज्वार भाटा,
एक निश्चित समय-सीम पर तुम खड़े।
कहता तुझे जग असीमा की दुनिया,
बूँद में ही पड़े बूँद में हो गड़े।
रचते हो बादल भले वाष्प बनकर,
कब खड़े प्रेम वर्षा की खातिर लड़े।
प्रेम होता असीमित समंदर का जलवा,
देता सहज नित्य किये बिन बखेड़े।
आता सदा ज्वार ही ज्वार इसमें।
गिरता न पारा चाहे जितना छेड़ें।।
Varsha_Upadhyay
08-Dec-2022 08:29 PM
शानदार
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Sachin dev
08-Dec-2022 05:55 PM
Nice 👌
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