Raziya bano

लाइब्रेरी में जोड़ें

इस ग़म कि क्या औकात है


ये दर्द कोई जावेदा तो है नहीं जमीं पर 
चलो मुस्कुराओ  चाहे  जो भी  बात है 
जब   खुशियां  ही  न   रही  मुकद्दर में 
तो फिर इस ग़म की  क्या  औकात है 

   13
5 Comments

Babita patel

29-Mar-2024 03:47 PM

Fantastic

Reply

kashish

29-Mar-2024 03:23 PM

V nice

Reply

Varsha_Upadhyay

16-Mar-2024 10:58 PM

Nice

Reply