मुक्तता

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मुक्तक-- बमुश्किल मुस्कान की कली खिली है! ये जिन्दगी तो सिर्फ तुम्हीं से मिली है! छोड़ना नहीं हाथ बीच राह में मीत मेरे, इन आंखों में जीने की आरजू पली है! ...

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