चाह

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*लेखनी काव्य प्रतियोगिता* *29 मई,2023* *शीर्षक:डॉ0 रामबली मिश्र के दोहे* बहुत अधिक की चाह का, कभी न हो परवाह। जो भी आया हाथ में,कहो उसी को वाह।। जहां नहीं संतोष है,उसे ...

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