दहेज
दहेज (दोहे)
माँगन मरण समान है, मत दहेज को माँग।
कन्या पक्ष की आह से, बहुत दूर तक भाग।।
जो दहेज को माँगता,वह दरिद्र अति क्रूर।
नारायण की संगिनी, लक्ष्मी से अति दूर।।
मत दहेज लोभी बनो, वर को बैल न मान।
वर का मत विक्रय करो, यह अमूल्य सन्तान।।
जो वर को है बेचता, वह करता कुलघात। ।
करता खुद को नष्ट वह, पापी मन कुख्यात।।
बन दहेज प्रेमी नहीं, यह है आर्थिक रोग।
इस कुरोग से मुक्त हो, करना पावन योग।।
जो दहेज भोगी बना, उसका सत्यानाश।
इस कुत्सित धन से बचो, कर श्रम पर विश्वास।।
ईश्वर से ही माँगना, मानव से मत माँग।
ईश्वर का साथी सदा, पाता उत्तम भाग।।
Sachin dev
15-Dec-2022 05:42 PM
Superb 👍
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