लेखनी कहानी -24-Nov-2022 (यादों के झरोखे से :-भाग 30)
दीपावली के बाद भाई दूज आई। उस दिन मेरी तीन बुआएँ आईं। उनमें से दो बुआ तो घर चली गईं। परंतु, एक बुआ हमारे यहां ही रुक गईं। थोड़ी देर बाद उनके बच्चे बिना गए। भाई के तो मैंने तिलक किया और सभी के लिए मम्मी ने मटर पनीर की सब्ज़ी बनाई। मेरी बुआ के बच्चों को मेरी मम्मी के हाथ से बना भोजन बहुत पसंद है। उन बुआ की सबसे बड़ी लड़की को तो बहुत ही ज़्यादा। उस दिन भी सभी को भोजन बहुत पसंद आया। बचपन में भी वह हमर घर गर्मियों की एक महीने की छुट्टी बिताती थी। बुआ को मैंने हमारे बचपन की फोटो की एल्बम भी दिखाई। हम पुराने दिनों को याद करने लगे। मेरी बुआ की लड़की उसकी नन्ही सी बेटी परी को हमारे बचपन की कहानियां बताने लगी।
उसने उसे सब कुछ बताया कि किस तरह हम सब मिलकर धूम मचाते थे। सभी तरह के त्यौहार और जन्मदिन मनाते थे। चित्रकारी करते थे वगेरह वगेरह। परी बहुत ही ध्यान से हमारे बचपन की सभी बातें सुनती और उसे ये सब सुनने में मज़ा भी बहुत आता है। बुआ ने मुझे घर आने को कहा। मैंने भी हां कह दिया।
एक दिन घर के सभी लोग शहर के बाहर जाने को हुए। मैंने सोचा मैं बुआ से मिल आती हूं। उस दिन रविवार भी था तो सभी घर पर ही थे। मैं बुआ के घर गई। मुझे देख परी बहुत खुश हुई, बोली मौसी आप आ गए। मैंने कहा हां आज तो मैं परी के साथ खेलने आई हूं।
फिर क्या था उसने मुझे अपने सारे फोटो एल्बम दिखाए। अपने सारे खेल खिलौने दिखाए। मेरे साथ रेस्टोरेंट वाला खेल खेला , जिसमें वह मुझे झूठ- मूठ में तरह- तरह के व्यंजन बनाकर खिलती रही। मैं उनकी तारीफ करती रही। थोड़ी देर बाद वह मुझे बैडमिंटन खिलाने लेकर गई। परंतु, वह सब नहीं मिलने के कारण उसने फिर क्रिकेट खेलने हेतु मुझसे आग्रह किया। मैं तैयार हो गई। वह मुझे अपने घर के बाहर ले गई, जहां हमने क्रिकेट खेला। मेरी बुआ की छोटी बेटी ने हमारी वीडियो बनाई।
मैंने परी से यह कहा कि मुझे तो क्रिकेट खेलना ही नहीं आता, अतः परी को ही मुझे सिखाना पड़ेगा। उसने मुझे सिखाना शुरू किया और मैंने सीखना। थोड़ी देर बाद बुआ ने हमें भोजन हेतु बुला लिया हम सबने मिलकर भोजन किया। बुआ ने मेरे लिए अपने हाथों से भोजन बनाया था। जब मैंने यह कहा कि बुआ मैं बना देती हूं। उनकी छोटी बेटी बोली दीदी बना तो हम भी देते। परंतु, आपके लिए बनाना है इसीलिए मम्मी अपने हाथों से बनाएंगी। वाकई में भोजन बहुत ही स्वादिष्ट बना था, क्योंकि उसमें बुआ की ममता और स्नेह जो था। थोड़ी देर बाद बैठकर मेरी बुआ की लड़की मुझे उनके नए घर को दिखाने ले गई। उसके पश्चात् मैंने सबसे विदा ली। अतः वह दिन मेरे लिए एक खूबसूरत यादगार दिन बन गया।
Varsha_Upadhyay
16-Dec-2022 06:52 PM
शानदार
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Swati Sharma
16-Dec-2022 09:21 PM
धन्यवाद मेम 🙏🏻
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Sachin dev
14-Dec-2022 04:16 PM
Well done ✅
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Swati Sharma
16-Dec-2022 09:21 PM
Thank you sir 🙏🏻
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