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कॉलगर्ल

उस रहस्य पर पर्दा पड़ा है। और वह रहस्य फिलहाल बाहर आना नहीं चाहता। बदले का मन बना कर हत्याओं की परंपरा को अंजाम देना चाहता है। मेरे ख्याल से केस की गुत्थी सुलझने की बजाय उलझने की संभावना ज्यादा है। "सर, यह कठपुतली शब्द दीवार पर लिखने का खूनी के लिए क्या मकसद रहा होगा? मेरी तो समझ में कुछ नहीं आया।" जगदीश ने अपना सिर खुजाते हुए कहने लगा। जगदीश ने इस्पेक्टर खटपटिया का मन जानने की कोशिश की। "जगदीश, कठपुतली का सीधा मतलब होता है किसी के हाथों का प्यादा, या फिर खिलौना, जिसे जब चाहो अपनी मनमर्जी से नचाया जा सकता है।" "हां, इतना तो मेरी समझ में आया है सर। पर यहां दीवार पर उसे कुछ अलग ही अर्थ में लिखा गया है, मुझे लगता है।" खटपटिया जगदीश को आश्चर्यचकित हुए देखता रहा। जैसे बातों बातों में उसने कोई खुफिया राज खोल दिया न हो। "ऐसा हो सकता है!" इंस्पेक्टर खटपटिया जैसे ज्यादा कुछ बोलना नहीं चाहता था। कानूनी कार्यवाही निपटा कर उसने डेडबॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।  करणदास की हत्या के लिए कोई तेज धार वाले अंजारी चाकू का उपयोग किया गया हो ऐसा लग रहा है। हत्या कितने बजे हुई यह सबसे पहले पता लगाना जरूरी है।" जगदीश ने लाश का लगभग पांचवी बार मुआयना किया था।  "जगदीश...." अचानक खटपटिया के दिमाग में कोई ख्याल कौंधा। उसने जगदीश को हुक्म दिया, " निलेश लिंबानी को वापस बुलाओ!" "ओके सर, कहता हुआ जगदीश सामने वाले फ्लैट से लिंबानी को बुला लाया। लिंबानी साहब जैसे ही दोनों करणदास की लाश तक पहुंचे, खटपटिया ने माथे से कैप उतारकर  सिर खुजाते हुए कहा, "मुझे डाउट है।" "मेरे ऊपर साहब, लेकिन मैं कुछ भी नहीं जानता।" लिंबानी ने अपनी घबराहट छुपाते हुए कहा। "मैंने कैमरे का पासवर्ड तोड़कर डाटा मेरे मोबाइल कैमरे से कनेक्ट करके चेक किया कहीं-कहीं करणदास के साथ आप भी नजर आ रहे हैं।" खटपटिया ने अंधेरे में तीर मारा लेकिन तीर बिल्कुल निशाने पर लगा। निलेश लिंबानी ढीला पड़ गया--- बोला, "सर सच कहूं तो करणदास और मैं एक ही धंधे में होने की वजह से अच्छे मित्र बन गए थे। पड़ोसी होने के नाते एक दूसरे की फैमिली के साथ खाने-पीने का प्रोग्राम अक्सर होता रहता था। उनका मर्डर हुआ यह बात सुनकर मैं काफी डर गया था सर। क्योंकि मैं ठहरा काम धंधे वाला आदमी। और ऐसे कानूनी लफडे में कौन पडना चाहेगा? पर सच कह रहा हूं सर, करणदास के मर्डर में मेरा कोई हाथ नहीं है। ना ही मैं कुछ जानता हूँ।" "फटाफट शुरू हो जाओ!" खटपटिया ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया।  करण दास के बारे में जितना जानते हो सब कुछ बक दो। बाकी मैं अच्छी तरह सब कुछ उगलवा सकता हूँ। लिंबानी खटपटिया के कड़क बर्ताव से पस्त हो गया। पिछले पाँच साल से ये लोग मेरे सामने वाले फ्लैट में रहते हैं।" गला साफ करके वह धीमे से बोला, " करणदास उसकी पत्नी और एक लड़का, कुल मिलाकर तीन जनों का फैमिली है। उनकी पत्नी पुत्र के साथ मैरिज फंक्शन अटेंड करने वतन गए हुए हैं।" "उनका वतन कहां है बता सकते हो?" "ओ "उडीसा सर, यह लोग उड़ीसा के हैं। यहां आने से पहले रेंट से दूसरे इलाके में रहते थे। डायमंड में अच्छा कमाए हैं करणदास।  "उनका नेचर मिलनसार रहा है इसलिए किसी के साथ भी उनकी मगजमारी नहीं थी। धंधे में लेनदेन के मामले में उनकी हत्या हुई हो ऐसा मुझे नहीं लगता।" "कारण जो भी होगा मैं ढूंढ निकाल लूंगा आप मुझे यह कह कहिए, "आपके साथ कैसी पटती थी उनकी?" "मेरे साथ उनका बहुत अच्छा मेल था बस मुझे उसकी नीयत ठीक नहीं लगी। मैंने यह महसूस किया था कि मेरी वाइफ के पीछे कुछ ज्यादा ही रुजान था उनका। इसलिए फिर मैंने उनके घर आना जाना बंद कर दिया। मुझे ऐसे इंसानों की सख्त अलर्जी है। लेकिन किसी की जान नहीं ले सकता मैं। उस इंसान की असली परख होते ही मैंने उसके साथ अपने सारे व्यवहार तोड़ दिए थे। हमारे बीच पूरी तरह से बोलचाल बंद थी। "ओह ऐसी बात थी?" लिंबानी की बातों में खटपटिया को सच्चाई लगी।  "अब आप जा सकते हो। जगदीश लिंबानी सर को  जाने दे।" कहकर खटपटिया सोच में पड़ गया। "जरूर कुछ और ही कारण लग रहा है। हत्या के वक्त जरा सी भी आवाज नहीं होती, उसका मतलब है हत्यारा पूरी प्लानिंग के साथ आया होगा। लंबे टाइम से वह प्लानिंग कर रहा होगा-- तभी तो कोई भी सबूत छोड़े बगैर हत्या करके निकल गया है। जरूर कोई पेशेवर मुजरिम का काम है।" जगदीश ने अपना ज्ञान प्रकट किया। एक्सपर्ट फिंगरप्रिंट को हस्तगत कर रहे थे। जरूर कोई बड़ी गुत्थी है। जगदीश ने स्वीकार कर लिया।


पुलिस चौकी पर पैर रखने से पहले खटपटिया समझ चुका था कि एक गुनाहित चक्रव्यूह का आरंभ हो चुका है इस वक्त खटपटिया जगदीश के साथ पुलिस चौकी पर बैठा था। "फिंगरप्रिंट रिपोर्ट आ गई है सर।" जगदीश ने रिपोर्ट खटपटिया को पकड़ते हुए कहा। "केवल उस पर मरने वाले के ही फिंगरप्रिंट मिले हैं, बाकी हत्यारे ने कहीं भी अपने हाथों या पैरों के निशान नहीं छोडे करणदास के बंगले से सीसीटीवी कुटेज मंगवा लिए हैं।" सीसीटीवी फुटेज को अपने कंप्यूटर में स्क्रीन पर प्ले कर चुके जगदीश ने कंप्यूटर का स्क्रीन खटपटिया की ओर घुमा दिया। वीडियो क्लिप में करणदास का कमरा साफ साफ नजर आ रहा था। अच्छा था कि उसे लाइट ऑन रखकर सोने की आदत थी। खटपटिया मन ही मन बोला। कंप्यूटर स्क्रीन पर प्ले हो रही वीडियो क्लिप को देखते हुए जगदीश और खटपटिया तब तक चुपचाप बैठे रहे। जब तक उन्हें वह सीन नजर नहीं आया। स्क्रीन पर 2:00 बजे का वक्त शो हो रहा था कि तभी कमरे मे एक नकाबपोश शख्स दाखिल हुआ। उसने अपने शरीर पर फुल साइज का काला कोट पहन रखा था। उसका शरीर काफी फुर्तीला और मजबूत नजर आ रहा था। डोर का लॉक उसने बड़ी सावधानी से खोल दिया था। उसका मतलब तो यही था कि उसके पास घर की एक डुप्लीकेट की होनी चाहिए। "सर मुझे तो यह कोई करणदास का करीबी लगता है। कंप्यूटर स्क्रीन पर संदिग्ध व्यक्ति की मूवमेंट को देख रहा जगदीश बोल उठा।

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3 Comments

Varsha_Upadhyay

30-Sep-2023 10:21 PM

Nice one

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HARSHADA GOSAVI

30-Sep-2023 07:08 AM

Amazing

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Gunjan Kamal

28-Sep-2023 07:57 AM

👏👌🙏🏻

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