कत्लगाह खोज रहा हूं

1 भाग

127 बार पढा गया

5 पसंद किया गया

गज़ल मंजिल के लिए, एक राह , खोज रहा हूं। यारो में समंदर की, थाह खोज रहा हूं।। जिसके लिए मैं चाहता हूं, खुद से ज्यादा। कितनी है उसके दिल में, ...

×