1 भाग
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विषय:-- स्वैच्छिक खंडित -खंडित तेरा मन। महके पर, चंदन सा तन।। कैसे सहन करूं....कब तक सहन करू? हुआ न कुछ भी परिवर्तन,अब भी तुम हो पाथर। नाम किसी का छीना है ...
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