बन कर किताब आया

1 भाग

382 बार पढा गया

10 पसंद किया गया

गजल दिवाने भंवरे मचल रहे हैं, गुलों पे ऐंसा शबाब आया। कोई जहन में छुपाए उल्फत, गज़ल की बन कर किताब आया।। लगे ये रुत कितनी खूबसूरत, कि सबको उल्फत की ...

×