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विषय:--"अफसाना" मुक्तक-- तन्हा हूं आज में, अपना हुआ पराया। जिन्दगी बनी अफसाना,जिसे दिल से गाया।। गीत लिखे हैं गमों के बीच में बैठ कर, उतारता रहा रोज़ बहारों का साया।। रोते-रोते ...
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