वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
जो
सेवा
सम्मान
सहज में
रहता लगा
समझ उसको
है अति प्रिय प्राणी।
ना
कह
हाँ कर
क्या कहने?
ऐसा भावुक
परम दिव्य सा
मनुज मनोहर।
आ
मन
बस जा
रहो सदा
मधु मानव
बनकर नित
कर प्रिय लीला ही।
जो
हर
तरह
सदा रत
सेवक जैसा
समझो उसको
परम सुहावन।
जो
नीचे
रहा है
उसे अब
कृपा करके
ऊपर जाने का
सुनहरा मौका दो।।
Abhilasha deshpande
12-Jan-2023 06:06 PM
Beautiful
Reply
अदिति झा
12-Jan-2023 04:27 PM
Nice 👍🏼
Reply