डॉ. रामबली मिश्र
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हरिहरपुरी विरचित
दुर्मिल सवैया
रहना मन में बसना उर में, कहती रहना हर बात सखी।
मनभावन हो प्रिय पावन तू,सद्भावन को नयना निरखी।
तुझको सब में सब को तुझ में, तव रूप निखार प्रभा सुमुखी।
मम संग रहो सजनी बन जा, धरती जगती सब होय सुखी।
पृथ्वी सिंह बेनीवाल
08-Jan-2023 09:09 AM
बेहतरीन
Reply
Sachin dev
06-Jan-2023 06:03 PM
Nice
Gunjan Kamal
05-Jan-2023 08:44 PM
शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻
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पृथ्वी सिंह बेनीवाल
08-Jan-2023 09:09 AM
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Sachin dev
06-Jan-2023 06:03 PM
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Gunjan Kamal
05-Jan-2023 08:44 PM
शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻
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