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कोरोना





कोरोना  (चौपाई)


कोरोना अब हुआ डरावन।

गाँव-शहर में जलता सावन।।

भष्मासुर बन फैल रहा है।

रक्तबीज बन खेल रहा है।।


चारोंतरफ नंग नर्तन है।

जनसंख्या का परिवर्तन है।।

दिखती संकट में मानवता।

बहुत भयानक है दानवता।।


चढ़ता जाता कोरोना है।

मन का अब रोना-धोना है।।

कोरोना नित मार रहा है।

मानव को ललकार रहा है।।


सकते में है मनुज दीखता।

चेहरे पर है मास्क विदकता।।

विगड़ गयी चेहरे की शोभा।

है मटमैली मुख की आभा।।


दीन-हीन मानव लगता है।

भयाक्रान्त हो कर चलता है ।

कितना दूर रहेगा मानव?

पीछे पड़ा हुआ है दानव।।


जगह नहीं है अस्पताल में।

सकल देश आपातकाल में।।

ऑक्सीजन की नहीं व्यवस्था।

क्षीण-हीन दयनीय अवस्था।।


कैसे जान बचेगी प्यारे।

दूरी रखना हो कर न्यारे।।

अब विवेक से प्राण बचेगा।

जीव मात्र का त्राण रहेगा।।








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2 Comments

Haaya meer

30-Dec-2022 06:40 PM

👌👌

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Sachin dev

30-Dec-2022 04:03 PM

Well done

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