Yug Purush

लाइब्रेरी में जोड़ें

8TH SEMESTER ! भाग- 48 ( Welcome Party-1 )

Chapter-13: Welcome Party

कितना अच्छा लगता है,जब कोई खोई हुई चीज़ वापस मिल जाती है तो....एक अजीब सी खुशी ने मेरे दिल को उस वक़्त घेर रक्खा था...क्यूंकी आज मेरा खास दोस्त अरुण मेरे दूसरे खास दोस्त वरुण के साथ था और वो दोनो मेरे साथ थे....अपने फ्लैट  की बाल्कनी मे खड़े होकर,मैं बाहर होती तेज बारिश को निहार रहा था और ना चाहते हुए भी मेरे आँखो के सामने वो दृश्य आ रहा था जब मैं 8th  सेमेस्टर मे था और उसी की वजह से मुझसे कभी नाराज़ ना होने वाला मेरा दोस्त मुझसे इस कदर खफा हुआ कि उसने मुझसे बात तक नही की थी और आज कॉलेज ख़त्म होने के 6 महीने बाद वो वापस मेरे पास आ गया था.उसने शायद अपने दिल को समझा लिया था कि जो कुछ भी 8th सेमेस्टर मे हुआ था ,उसकी वजह मैं नही था.जबकि उसकी वजह मै ही था.

बाहर होती बारिश को मैं बालकनी  से निहार ही रहा था कि मेरा मोबाइल बज उठा, आज लगातार दूसरा दिन था जब मैं काम पर नही गया था, इसलिए मैने सोचा कि कॉल इंडस्ट्री वालो की होगी.....इसलिए मैने कोई ध्यान नहीं नही दिया. जब मैने कॉल पिक अप नही की तो मोबाइल खुद ब खुद बजना बंद हो गया और मैं फिर से बाहर होती तेज बारिश को देखने लगा....अरुण और वरुण इस वक़्त शराब के चपेट मे आकर बिस्तर पर पड़े हुए थे... लेकिन मै नहीं... मेरा तो दारू से बरसो पुराना नाता था... वैसे भी.. ~I Love Daru More Than Girls...

"ये साले मेरे बगैर काम नही कर सकते क्या..."जब मोबाइल मे रिंग फिर से शुरू हुई तो खुन्नस मे मैने कहा, ये जानते हुए भी कि मेरी इस आवाज़ को सुनने वाला वहाँ कोई नही है....मैने दूसरी बार भी मोबाइल नही उठाया , मैने देखा तक नही की कॉल किसकी है, लेकिन जब तीसरी बार कॉल आई तो मैने स्क्रीन पर नंबर देखा...

"निशा....कैसे....?"मैं थोड़ा हैरान था कि निशा ने कैसे कॉल कर दी,क्यूंकी कल रात ही उसने हमारे सेक्स रीलेशन को ख़त्म कर दिया था....मैने कॉल उठाया"हेलो,..."

"क्या कर रहे हो... फैक्ट्री मे हो..?"

"हां,..."घड़ी मे टाइम देखते हुए मैने कहा

"आक्च्युयली ,मुझे कुछ अजीब सा फील हो रहा है..."बोलते हुए वो रुक गयी और थोड़ी देर तक वो चुप ही रही...

"निशा...हेलो.."

"हां.."

"क्या बोल रही थी..."

"तुम्हे थोड़ा अजीब लगेगा ,लेकिन कल तुम्हारे जाने के बाद मैं तुम्हे ही याद कर रही थी..."

"क्यों...? "

"पता नही ...लेकिन कुछ अच्छा नही लग रहा आज..."

"क्यों  ? "मैने फिर इतना ही कहा...

"तुमसे मिलने का दिल कर रहा है, तुम्हे देखने का दिल कर रहा है...तुम्हे किस करने का दिल कर रहा है...."

मैं इस इंतेज़ार मे कुछ नही बोला कि वो अब लास्ट मे बोलेगी कि"तुम्हारे साथ हमबिस्तर होने  का दिल कर रहा है..."लेकिन वो चुप हो गयी और  आगे कुछ नही बोली...

" यू ओके !! निशा...?"

"नो, कुछ भी ओके नही है, i dont know.. Why am i feeling bad.. Can you come..?.."

"why ? "मैं इस बार बुरी तरह चौका,..क्यूंकी मुझे यकीन नही हो रहा था हर दो दिन मे नये लड़के  की तालश करने वाली निशा को आज क्या हो गया है....

"मम्मी-पापा आ गये क्या...?"मैने आगे पूछा

"वो कल आएँगे...इसीलिए तो तुम्हे बुला रही हूँ, अभी आ सकते हो क्या...मुझे कुछ भी अच्छा नही लग रहा, "

"अभी...इस वक़्त..."बाहर तेज होती बारिश को देखकर मैने कहा"रात को मिलते है..."

"नो..नो...प्लीज़ अरमान ,अभी आओ,.."

"अभी, भीग जाउन्गा, बीमार हो जाउन्गा..."

"मैं कुछ नही जानती, तुम आओ बस"

"बाहर बारिश हो रही है और मेरे पास छाता भी नही है..."मैने टालते हुए कहा,क्यूंकी मेरा बिल्कुल भी मन नही था....

"भूलो मत कि तुम्हारे जिस्म के प्यास को मैने दूर किया था... उस वक़्त मुझसे ज्यादा तुम्हे मेरी जरूरत थी ..."वो आवाज़ तेज करती हुए बोली"मैने कहा ना आओ..."

यदि आज से पहले यही बात निशा ने कहा होता तो मैं बिल्कुल जाता, खुशी- ख़ुशी  से जाता...लेकिन आज मेरा मन बिल्कुल भी नही था...मैं जैसे अब ज़िंदगी मे आगे बढ़ना चाहता था, निशा से दूर जाना चाहता था...

"सॉरी निशा...मैं तुम्हारा गुलाम नही हूँ और अपनी आवाज़ की फ्रीक्वेन्सी कम करो... वरना श्री अरमान... खैर, छोडो... बाय "
बहुत दिनो बाद मेरी आवाज़ मे इंजिनियरिंग वाले अरमान की झलक दिखी थी, वरना 8th semester के बाद तो मानो जैसे मैने खुद को खो ही दिया था...

"व्हाट सॉरी"

"पका मत यार, बाय .."कहते हुए मैने  कॉल कट की और अंदर आकर मोबाइल बिस्तर पर फेका. इस समय मै यही सोच रहा था की  ये सब क्यूँ और कैसे हुआ..? .मुझमे इतनी हिम्मत कैसे आ गयी आज....ये हिम्मत तो महीनों  पहले दम तोड़ चुकी थी....जैसा कि मुझे उम्मीद थी निशा ने फिर कॉल किया  ,लेकिन  अबकी बार मैने  मोबाइल ही स्विच ऑफ कर दिया..

"अब लगा साली फोन,..."

"क्या हुआ बे..."वरुण आँख मलते -मलते बिस्तर पर उठ कर बैठा और बैठते ही बोला "फिर आगे क्या हुआ...? सॉरी ममेरी आँख लग गई थी... आगे की स्टोरी सुना.."

"ऐसे नही...एक-एक पेग मार लेते है ... फिर "

"एक पेग मेरे लिए भी..."नींद मे ही अपना हाथ उपर उठाते हुए अरुण बोला......

.
सिदार  से उस दिन मिलने के पहले मैं ऐश  और अपनी लव स्टोरी को 1+1 = 2 वाले क्वेस्चन की तरह बहुत आसान समझ रहा था, लेकिन जबसे ये पता चला था कि सिदार  किसी जमाने मे विभा से प्यार करता था ,तब यही 1+1=2 वाला क्वेस्चन बहुत हार्ड हो गया था,...क्यूंकी इसमे विभा शामिल थी और मेरे प्लान के मुताबिक मैं विभा को किसी मोहरे की तरह इस्तेमाल करने वाला था, जिससे विभा की आँखो मे आँसू भी आ सकते थे और यदि विभा की आँखो मे आँसू देखकर सिदार  का बरसो पुराना प्यार जाग गया तो फिर मेरी खटिया खड़ी हो जाती, उपर से गौतम भी मुझसे बदला लेता...और उसके साथ वरुण भी होता....

एक पल तो ख़याल आया कि मैं ये सब छोड़ कर दूसरा प्लान सोचु, लेकिन दूसरा प्लान था ही नही...फिर मुझे सिदार  की हालत दिखी कि वो कैसे विभा को वरुण के साथ वो सब कुछ करते हुए देखता होगा, कितना सहा होगा....जब उसके सामने आकर कोई बोलता होगा कि वरुण ने विभा के साथ बाथरूम मे वो सब किया.... तो उसे कैसा फील होता होगा....? मैं इस डर मे था कि कहीं यही सब कुछ मेरे साथ भी ना हो जाए, कहीं कल कोई मुझे ये न्यूज़ ना दे कि गौतम ने ऐश  को........
"इसकी माँ की..." ये सोचते ही मैं अंदर ही अंदर भड़क उठा.
मैं चाहता था कि सिदार  मेरे रास्ते मे ना आए और वही दूसरी तरफ ये भी चाहता था कि विभा मेरे काम आए, घंटो सोचा, कॉपी पर ईशा ,अरमान,गौतम,विभा,सिदार  लिखकर कयि डायग्राम और प्लान भी बनाया...लेकिन कुछ भी नया आइडिया भेजे मे नही घुसा ..

"जो होगा देखा जाएगा, फिलहाल तो वेलकम पार्टी का प्लान बनाया जाए..."जिस काग़ज़ मे मैने लिखा पढ़ी की थी उसे फाड़ते हुए अरुण को आवाज़ दी"कहाँ है बे, जल्दी चल...वरना देर हो जाएगी..."
.

एकदम तैयार होकर...सूट, बूट और पर्फ्यूम मारकर हम तीनो कंट्री क्लब मे पहुचे. कंट्री क्लब के ग्रीन ग्राउंड मे स्टेज बनाया गया था और उसके नीचे बैठने का बंदोबस्त किया गया था,लगभग सभी वहाँ आ चुके थे.. हम तीनो थोड़ा लेट थे... थोड़ा क्या, कुछ ज्यादा ही लेट थे. क्यूंकि जब हम वहा पहुचे तो फंक्शन शुरू हो चुका था और फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट बारी -बारी स्टेज पे जाकर अपना intro  दे रहे थे.

जब हम तीनो ने वहाँ एंट्री मारी तो...वो नज़ारा देखने लायक था... सिटी वाले सीनियर्स का फेस मुझे वहा  देखते ही लाल हो गया, सिटी वाले सारे सीनियर्स को देखकर थोड़ा डर तो लगा लेकिन फिर सिदार  की कही हुई बात याद आई तो मैने डर को अपने अंदर से निकाल फेका और आगे उस तरफ बढ़ा...जहाँ मेरे क्लास वाले बैठे थे....

"अबे तुम लोग "नवीन ने हमे देखकर अपनी आँखे फाड़कर पूछा ,..

"मूह बंद कर वरना कोई मूत के चला जाएगा..."वही उसके बगल मे बैठ कर मैने कहा....

हमारे वहाँ आने से सीनियर्स के बीच डिस्कशन शुरू हो गया था, वरुण ने मुझे देखा ,घूरा और फिर अपनी जगह से उठकर कही  चला गया...मुझे उस दिन अहसास हुआ कि साला, बहुत बदनाम हूँ मै कॉलेज मे...

"ऐश  आई है क्या..."नवीन से मैने पुछा...

"आई तो थी, एकदम कर्री माल लग रही थी आज तो..."

"चुप कर वरना ,यही ठोक दूंगा... .ये बता वो है कहा ..."

"वो देख..."इधर उधर कुछ देर तक अपनी नज़रें घुमाने के बाद नवीन ने कहा"वो देख ,सबसे आगे...दोनो हाथ मे हाथ डाल कर बैठे है..."

"इसकी माँ का... गौतम, साला "

मैं वहाँ अपनी जगह पर बैठ कर उस मॉडर्न अप्सरा को निहार रहा था ,जो मुझे बहुत क्यूट,स्वीट लगती थी...इतनी क्यूट कि दुनिया का कूटेस्ट वर्ड भी उसकी क्यूटनेस को बयान ना कर पाए, जिसकी मुस्कान ऐसी थी कि मुस्कुराती  वो थी और दिल मेरा खिल  उठता था....

मैं वही अपनी जगह पर अपने दोस्त नवीन के बगल मे बैठकर ऐश को निहार रहा था जिसके  लिए मेरे पास शब्द नही थे, मैं उससे उस वक़्त सिर्फ़ लड़ना झगड़ना चाहता था,क्यूंकी यही वो एक ज़रिया था...जिससे हम दोनो एक दूसरे के करीब आते थे, actually  ...हम दोनो नही.... सिर्फ़ मैं उसके करीब आता था...

मैं वही अपनी जगह पर अपने सबसे खास दोस्त अरुण के बगल मे बैठकर उस लड़की को निहार रहा था, जो अभी गौतम की  किसी बात पर हंस रही थी,उसे हसते हुए देखकर ,दिल कर रहा था कि मैं बस वहाँ से उठकर सीधे उसके पास चला जाउ और दुनिया भर मे जितनी भाषा होती है ,उन तमाम भाषाओ मे अपने अरमानो को उस खूबसूरत मॉडर्न अप्सरा के सामने ज़ाहिर कर दूं....

लेकिन उस वक़्त मैं रुक गया,मैं अपनी जगह से हिला तक नही और अपने अरमानो को लेफ्ट साइड मे समेटे हुए वही बैठ कर उसे सिर्फ़ देखता रहा...मैं उसे निहार रहा था जिसे मेरी बिल्कुल भी परवाह नही थी, जिसे कोई फरक ही  नही पड़ता कि मैं कौन हूँ, क्या हूँ और किसलिए उससे लड़ता फिरता हूँ, उसे परवाह है तो सिर्फ़ खुद की, खुद के प्यार की, खुद के अरमान की....उसके अरमान के सामने इस अरमान के अरमान कोई मायने नही रखते...कहीं ये मेरा वन साइड लव ,मेरे लेफ्ट साइड को इस कदर ना बर्बाद कर दे कि बड़ी सी बड़ी बर्बादी भी फिर  समुंदर मे बूँद भर  पानी जैसी लगे....वो वहाँ बैठी हुई  गौतम के साथ हंस रही थी और मैं वहाँ अपने खास दोस्त नवीन, bhu और अरुण के साथ पीछे बैठ कर उसे देखे जा रहा था.

"मैं अभी आया..."अपने तीनो दोस्तो से बोलकर मैं वहाँ से उठा और उस ओर चलने लगा...जो ऐश  की तरफ की जाता था...

   13
1 Comments

Barsha🖤👑

26-Nov-2021 05:44 PM

बहुत खूबसूरत भाग

Reply