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होली-कुण्डलिया




होली-कुण्डलिया


होली सुखद मने सहज, गायें सब मिल फाग।

सभी अलापें प्रेम से, दिव्य मिलन का राग।।

दिव्य मिलन का राग,सतत बरसे मन-उर में।

जागे निर्मल भाव, सभी  मानव के भीतर।।

कहें मिसिर बलिराम, सरस हो सबकी बोली।

पिचकारी से मार, खेल रंगीली होली।।





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2 Comments

Gunjan Kamal

21-Dec-2022 09:39 PM

शानदार

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Sachin dev

19-Dec-2022 01:40 PM

Nice

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