डॉ. रामबली मिश्र
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होली-कुण्डलिया
होली सुखद मने सहज, गायें सब मिल फाग।
सभी अलापें प्रेम से, दिव्य मिलन का राग।।
दिव्य मिलन का राग,सतत बरसे मन-उर में।
जागे निर्मल भाव, सभी मानव के भीतर।।
कहें मिसिर बलिराम, सरस हो सबकी बोली।
पिचकारी से मार, खेल रंगीली होली।।
Gunjan Kamal
21-Dec-2022 09:39 PM
शानदार
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Sachin dev
19-Dec-2022 01:40 PM
Nice
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Gunjan Kamal
21-Dec-2022 09:39 PM
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Sachin dev
19-Dec-2022 01:40 PM
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