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विद्वान




विद्वान    (दोहे)


जानकार जो विषय का, वह विद्वान सुजान।

देता रहता जगत को, अपना उत्तम ज्ञान।।


अपने सुंदर ज्ञान से, देता जग को सींच।

अंधकार को जगत से, नित लेता है खींच।।


अंधकार को खींच कर, देता सत्य प्रकाश।

विद्वानों की मंडली, भरती सब में आस।।


आशा से ही विश्व में, भर जाता है जोश।

विद्वानों का कर्म यह, लायें सब में होश।।


मदहोशी को सर्वथा, दूर करत विद्वान।

विद्वानों के ज्ञान से, बनता भव्य जहान।।


सभ्य सुसंस्कृत विश्व का, होता तब निर्माण।

दे देता विद्वान जब, सकल ज्ञान का प्राण।।


पंडित ज्ञानी तत्वविद, अति शिक्षित विद्वान।

सकल लोक की सभ्यता, के असली ये खान।।


विद्वानों का जो करत, आजीवन सम्मान।

फलता रहता रात-दिन, बढ़ता जिमि दिनमान।।




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1 Comments

Muskan khan

19-Dec-2022 04:18 PM

Well done

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