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सौरभ




सौरभ    (दोहे)


सौरभ को जीवन समझ, यह जीवन का अंग।

सुरभित सुंदर भाव से, बनता मनुज अनंग।।


सौरभ खुशबूदार से, मानव सदा महान।

सदा गमकता रात-दिन, रीझत सकल जहान।।


सौरभ में मोहक महक, सौरभ अमित स्वरूप।

सौरभ ज्ञान सुगन्ध से, बनत विश्व का भूप।।


जिसमें मोहक गन्ध है, वह सौरभ गुणशील।

सौरभ में बहती सदा ,मधु सुगन्ध की झील।।T


स्वादयुक्त आनंदमय,अमृत रुचिकर दिव्य।

सौरभ अतिशय सौम्य प्रिय, सहज मदन अति स्तुत्य।।


सौरभ नैसर्गिक सहज, देवगन्ध का भान।

सदा गमकता अहर्निश, सौरभ महक महान।।


सौरभ दिव्य गमक बना, आकर्षण का विंदु।

सौरभ को ही जानिये, महाकाश का इंदु।।





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