लाइब्रेरी में जोड़ें

प्रतिभा





प्रतिभा      (दोहे)


असाधारण बुद्धि जो, समझे विषय तुरन्त।

प्रखर मानसिक शक्ति से,बनता प्रतिभावन्त ।।


बुद्धिमान चहुँओर से,प्रातिभ विज्ञ विशेष।

मेधामण्डल में सहज, प्रतिभा करत प्रवेश।।


परम विलक्षण शक्ति यह, अतिशय आभायुक्त।

नव उन्मेषों में  सदा, होती सहज प्रयुक्त।।


समझदार इंसान के, भीतर प्रतिभा-देश।

बौद्धिक मानव अति कुशल, बनता प्रज्ञ गणेश ।।


प्रतिभा से संसार का, होता सदा विकास ।

प्रतिभा का संकट जहाँ, वहाँ ह्रास अविकास।।


प्रतिभा में क्षमता निहित, क्षमता से सब काम।

रचते प्रतिभावान ही, प्रिय गुरुकुल का धाम।।


है प्रतिभा जिस देश में, वह है सभ्य समाज ।

प्रतिभा के कारण चलत, 'टेक्नोक्रेटिक' राज।।



   9
3 Comments

Abhilasha deshpande

28-Dec-2022 03:11 PM

लाजवाब

Reply

Muskan khan

12-Dec-2022 07:48 PM

बेहतरीन प्रस्तुति

Reply

Rajeev kumar jha

12-Dec-2022 03:44 AM

शानदार

Reply