कंबलदान
कंबलदान (दोहे)
कंबल बँटता देखकर, हरिहरपुरी प्रसन्न।
राजनीति यह वोट की, है चुनाव आसन्न।।
फोटोग्राफी हो रही, दाता अति खुशहाल।
पेपर में छप जायेगी,कल दाता की चाल।।
कंबल पा कर दीन भी, होता बहुत प्रसन्न।
दाता को दे डालता,सहज वोट का अन्न।।
दीन बड़ा जो कर रहा,दाता को मतदान।
एवज में मिलता उसे, बस कंबल का दान।।
छोटा समझ न दीन को, यह महान इंसान।
इसके बल पर हो रहा, है कंबल का दान।।
दाता कंबल बाँट कर, करत सदा अभिमान।
बलबूते पर दीन के, बनता सत्तावान।।
सत्ता सुख को भोगता, दाता अति बलवान।
दीन-हीन को ताक पर, रख करता अभिमान।।
Gunjan Kamal
17-Dec-2022 05:14 PM
शानदार
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