चांदनी रात
148…. चांदनी रात
मिला करे सदैव रात्रि चांदनी सुहागिनी।
खिला करे वसुंधरा प्रशांत प्रीति गामिनी।
सदा रहे सुघर मधुर सुवासयुक्त कामिनी।
करो सहर्ष कामना दिखे प्रसन्न यामिनी।
डकैत और चोर का विलोम रात चांदनी।
सुशांत भाव दिव्यता प्रफुल्ल भव्य चांदनी।
दिवा सदैव है बनी प्रकाश रूप चांदनी।
युवा सशक्त निर्विकार दिव्य काम्य चांदनी।
सुमोहिनी सुगंधिनी सुपुष्टिनी सुभागिनी।
प्रभावयुक्त प्रेमयुक्त ज्ञान द्रव्य दायिनी।
सजी धजी चमक बिखेरती कुलीन भामिनी।
सुहाग रात प्रेमिका सुसुष्ठ सौम्य चांदनी।
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Gunjan Kamal
22-Nov-2022 11:07 PM
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 🙏🏻🙏🏻
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Teena yadav
21-Nov-2022 08:37 PM
OSm
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