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मनहरण घनाक्षरी

104…. मनहरण घनाक्षरी


नमामि मातृ शारदे, प्रणम्य दिव्य ज्ञानदे, भजामि हंसवाहिनी, नित्य वंदनीय मां।


चिंतना प्रकांड मात, वंदना सदा प्रभात, रोम रोम में निवास, स्तुत्य पूजनीय मां।


दीर्घ सुक्ष्म  प्रेम गात, नव्य भव्य सुप्रभात, मीठ मीठ बोल भाष, सुविचारणीय मां।


साधना अनंत बार, कामना सुधा सवार, शब्द ब्रह्म का प्रचार, ग्रंथ लेखनीय मां।


शुद्ध भाव निर्मला, असीम प्यार शीतला, वेद पूर्व आदि अंत, शास्त्र साधनीय मां।


सदा कृपा प्रदायिनी, सत विवेक गामिनी, श्वेत वस्त्र धारिणी ही, ग्राह्य सोचनीय मां।


ओम नाम रूप जान, सर्व विज्ञ सिद्ध मान, तंत्र मंत्र यंत्र ध्यान, पर्व वांछनीय मां।

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1 Comments

Gunjan Kamal

25-Nov-2022 11:36 PM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌🙏🏻

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