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मनहरण घनाक्षरी




मनहरण घनाक्षरी (वार्णिक)
31वर्ण, चार पद,8,8,8,7
चौथे पद का अंतिम दो वर्ण लघु दीर्घ अनिवार्य।

ब्रह्मवाद निर्विवाद
सामवेद कृष्णवाद 
माननीय धन्यवाद
आत्म को सजाइए।

सार तत्व एक जान
ईश का अवश्य गान 
स्नेह का रचो विधान
जिंदगी बनाइए।

नित्य जाग प्रेम राग
अर्थ से करो विराग
मोह लोभ त्याग भाग
काम को भगाइए।

तंत्र एक सभ्य जान
थोड़ को अथाह मान
तुष्ट हो बनो सुजान
 विश्व को बचाइए।

राजनीति सावधान
योग संग ध्यान ज्ञान
प्रेम का पुनीत भान
लोक में जगाइए।



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4 Comments

Kavita Jha

27-Dec-2022 09:41 AM

अति सुन्दर मनहरण घनाक्षरी आदरणीय 🙏

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Gunjan Kamal

16-Nov-2022 08:26 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Raziya bano

11-Nov-2022 06:37 AM

Shaandar

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