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सरसी छंद



सरसी छंद
मात्रा। भार 16/11

वहीं प्यार करता भारत से, 
जो है बहुत उदार। 
सारी वसुधा परिजन जैसी, 
दिल का है विस्तार। 
भारत सुन्दर उसको लगता, 
जिस के सुखद विचार। 
भारतीय संस्कृति अति पावन,
बनी हुई उपहार ।
भारतीयता को जो जाने, 
उसका  हो उद्धार। 
सहज सरल उत्तम भारत है,
मानवता का द्वार। 
अपनेपन का भाव भरा है, 
भारत प्रिय परिवार। 
शांति ध्वजा लहराता भारत, 
सुख की है बौछार।
विश्व गुरू य़ह आदि काल से, 
महिमा अपरम्पार। 
क्षमा कृपा इंद्रिय निग्रह का, 
भारत शिव  आकार ।
सत्य अहिंसा प्रेम पुजारी, 
भारत जग का हार। 
ब्रह्मा विष्णु महेश देव से, 
भारत करता प्यार। 
लोकतंत्र ही मूल्य यहाँ का, 
मानव है आधार। 
सारी जगती खुशी मनाए, 
हर क्षण हो त्योहार। 
मानवता का विद्यालय हो, 
य़ह समग्र संसार। 
सेवा भाव रहे अंतस में, 
भारत वर्ष प्रचार। 
सीमाओं में रहे सकल जग,
मर्यादा की धार। 
ऐसा भारत हिन्दू मन में, 
करता सदा विहार। 
हिन्दुस्तान बने यह धरती, 
आये दिव्य बहार। 
नैतिकता से जिसे मोह है, 
वह है भारतकार।



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4 Comments

Gunjan Kamal

15-Nov-2022 06:00 PM

शानदार

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Asif

09-Nov-2022 07:01 PM

Bahut khub

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Muskan khan

09-Nov-2022 05:42 PM

Lajavab

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