लाइब्रेरी में जोड़ें

हुकुमत




कुंडलिया

हुकुमत कभी चले नहीं, जिसमें हो अन्याय।
आज्ञा से अवसर भला, जिससे प्रेरित न्याय।।
जिससे प्रेरित न्याय, वही सबको करना है।
सर्वोचित प्रिय पंथ, सभी को उर रखना है।।
कहें मिश्र कविराय, रहो अच्छे पर सहमत।
जग में करे न राज, कभी भी गंदी हुकुमत।। 

हुकुमत मानवपरक हो, लाए उत्तम राज।
मानवतावादी समझ, से हो सारे काज।।
से कर सारे काज, मनुज अनमोल दिवाकर।
मन में सेवा भाव, स्वयं में है रत्नाकर।।
कहें मिश्र कविराय, कभी मत पालो गफलत।
समुचित होय विचार, इसी पर केंद्रित हुकुमत।।

रचनाकार: डॉक्टर रामबली मिश्र
९८३८४५३८०१

   14
4 Comments

Haaya meer

02-Nov-2022 05:45 PM

Amazing

Reply

Sachin dev

02-Nov-2022 04:34 PM

बहुत सुन्दर रचना

Reply

Gunjan Kamal

02-Nov-2022 11:46 AM

शानदार

Reply