मरहठा छंद (धनतेरस)
धनतेरस आया, खुशियां लाया, लक्ष्मी संग गणेश।
दिल से पूजन हो, मधुर भजन हो, हर्षित विष्णु महेश।
मन सिंधु मथन से, देव यतन से, रत्नों का भंडार।
पाई यह जगती, हर्षित धरती, धनवंतरि अवतार।।
श्री कार्तिक कृष्णा, त्रयोदशी तिथि, अति पावन है पर्व।
यह काल सुहावन, हिंदु लुभावन, करते हम सब गर्व।।
है दिव्य पुनीता, कंचन क्रेता, बनते सब धनवान।
दीवाली जगमग, करती पग पग, मिलता प्रभु से ज्ञान।।
उर में शुभ मति है, अद्भुत गति है, मन नभगामी होत।
छूता गगनांचल, यह मन चंचल, दिव्य भाव का स्रोत।।
त्योहार सनातन, पुलकित जन जन, नव जीवन का भाव।
यह हिंदू वसुधा, खुशदिल विविधा, मोहित मनुज स्वभाव।।
रचनाकार: डॉक्टर रामबली मिश्र
९८३८४५३८०१
Haaya meer
02-Nov-2022 05:42 PM
Amazing
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Muskan khan
02-Nov-2022 05:01 PM
Well done ✅
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Sachin dev
02-Nov-2022 04:31 PM
Nice 👌
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