Aliya khan

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ख्वाब

 विषय - ख्वाब

बंद आँखो से देखते है ख्वाब
दूर गगन मे उड़ने के
चाँद तारों को अपनी मुट्ठी
मे समेटने के ख्वाब मे जीते थे l

दिल की चाहते बहुत थी
पंछी बन आजाद फिरू,
पर पेरो मे बँधी बेड़िया
लोक लाज से जकड़ी  रही l

खुद को समेटे रही
जिम्मेदारियों के आंचल मे,
कभी बेटी कभी माँ तो कभी बीवी
कभी बहू के एहसासो मे l

ख्वाबों को अपने ताक पर
रखे संदूको में छुपा आई थी l
हजारों यादो को के पन्नों को
धूल की चद्दर से ढक आई थी l

ज़िन्दगी की राहों मे खुद को
ही खुद से जुदा कर आई थी l
कर ख्वाबों का बलिदान अपने
 घरौंदे अपने सजाएं l

आलिया खान....


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12 Comments

सुन्दर अभिव्यक्ति

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Niraj Pandey

24-Jun-2021 11:30 PM

गजब 👌👌

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🤫

24-Jun-2021 10:32 PM

बेहतरीन...☺️

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