माय आर्मी लव ♥️ ए स्पाई लव स्टोरी.....(भाग - 8)
भाग - 8
चारो सुकून को घबराते हुए देखते है।
चारो एक साथ - हम तो गए
सुकून - पापा बड़ी इज्जत करते है ये आपकी। और आपके बालो की।
नवनीत - सुकून जी.....!
सुकून - हा नवनीत जी...!
नवनीत - प्लीज...!
ब्रिगेडीयर सर - क्या बाते कर रहे तुम सब..? और सुकून जानती हो क्या चारो को तुम
आलोक - नही....!
सुकून - नही..?
आलोक - मतलब हा...!
ब्रिगेडीयर सर सुकून की ओर मुड़कर - क्या बात करनी है बेटा..?
चारो लोग ब्रेगिडीयर सर के पीछे से आस भरी निगाहों से सुकून को कुछ न बताने के इशारे कर रहे थे।
सुकून - पापा ये लोग आज सुबह मिले। तो पता चला कि इसी रेजिमेंट के है
ब्रिगेडीयर सर - ओह ये बॉय बहुत काबिल है। बस ये नवनीत कुछ ज्यादा ही पागल है पर काबिल है।
सुमेध - सर अब हमे चलना चाहिए।
और चारो वहा से सरपट भागते है। सुकून उनको ऐसे देख खूब हंसने लगती है।
ब्रिगेडीयर सर - अरे वाह सुकून ......इतनी खुश..?
सुकून - ह...हा पापा इतने आर्मी मैन को देख अच्छा लग रहा
ब्रिगेडीयर सर - अरे वैसे तो तुम्हे आर्मी कैंप आना नही पसंद क्युकी तुम्हे गोली बारी शोर शराबे नही पसंद पर कमाल हो गया.....सच मे कश्मीर की वादियां सबको बदल देती है।
इधर चारो भागते हुए हॉल में आते है।
सुमेध - नवनीत अब सुकून का पीछा छोड़ नही तो हमे ये आर्मी कैंप छोड़ना होगा
नवनीत लहराते हुए - भाई अब तो सुकून ही चाहिए लाइफ में.......देखा वो मेरी बात मानी कितने प्यार से
आलोक - पागल इंसान हम गिड़गिड़ाए तब जाकर मानी। क्या करे इस नवनीत का...?
प्रविष्ठ - रुको मै बैंक होकर आया
सुमेध - हा हा लव गुरु आपका ही बचा है। देखना एक दिन मुद्रा आपके बैंक के सारे मुद्रा निकाल आपको लात मार कर बैंक से निकालेगी
प्रविष्ठ - चुप भाई....मां के खाते में पैसे डालने थे। अब जाऊ..?
सुमेध - जाओ तुम लोगो को मेरी सुननी ही कहा है..?
प्रविष्ठ चला जाता है.....और सुमेध दूसरे ओर।
नवनीत - आलोक तू किसी से प्यार नही किया क्या आज तक...?
आलोक मुस्कुराते हुए - प्यार.. का पता नही। हा एक बार अकेडमि में एक लड़की को देखा था... लेकिन आज तक उसे भूल नहीं पाया। रोज सोने से पहले याद आती है.... लेकिन ये प्यार नही... पता नही क्या है..?
नवनीत - क्या...? अभी प्रविष्ठ गया मै उसका चेहरा भूल गया की कैसा दिखता है तू इतने सालो पुरानी लड़की का चेहरा याद रखा है..? अब तू संत इंसान पर तू प्यार तो करता है पर तेरा प्यार तो मीरा जैसे । पर मैं राधा बनूंगा मुझे चाहिए प्यार।
आलोक मुस्कुराते हुए - छोड़ पता नही अब वो लड़की कहा होगी..? शायद अब तक उसकी शादी हो गई हो या वो और किसी से प्यार करती हो ....अब पागल चल।
इधर प्रविष्ट बैंक में आता है और मुद्रा के पास काउंटर पर आता है। मुद्रा उसे देख खुश हो जाती है।
मुद्रा - आप ..? क्या हुआ आप काफी समय बाद आए नही तो सुबह शाम चक्कर लगाते है।
प्रविष्ठ मुस्कुराते हुए - मां के खाते में पैसे भेजने थे। और इस टाइम हम लोग थोड़ा बिजी है....वैसे....आप मिस कर रही थी... क..क्या मुझे...?
मुद्रा नजरे नीची कर - नही...मतलब आप आते है तो बस पुछ ली। पासबुक दीजिए न।
प्रविष्ठ अपना हाथ आगे बढ़ाता है। मुद्रा हंसने लगती है।
मुद्रा - प्रविष्ठ जी....आप अपना हाथ मुझे क्यू दे रहे..? पास बुक दीजिए न
प्रविष्ठ ध्यान देता है कि वो पास बुक की जगह हाथ ही आगे बढ़ा दिया।
प्रविष्ठ - सॉरी...लीजिए
मुद्रा - जी कोई बात नही।
और मुद्रा अपना काम करने लगती है। प्रविष्ठ काम करा बैक से जाने लगता है कि उससे कोई टकरा जाता है।
और उस आदमी का बैग गिर जाता है।
प्रविष्ठ - सॉरी सॉरी मै हेल्प करता हु
वो आदमी - कोई बात नही साब..! मै कर लेगा
और जल्दी जल्दी बैग उठाने लगता है।
प्रविष्ठ बैंक से आर्मी बेस में आ जाता है। वो वहा आता है तो सभी लोग साथ में होते है।
प्रविष्ठ - क्या हुआ सब लोग इकट्ठे...?
नवनीत - चौकन्ना रहना होगा... कुछ आतंकी हमला की संभावना है और आर्मी कैंप में।
आलोक - चलो हर जगह छान बिन करनी है .....कोई सस्पिसीयस पर्सन दिखे तो उससे पुछताछ करना होगा।
सुमेध - एक एक जगह पर छान बिन करना है क्युकी यहां काफी नागरिक भी है और फैमिली भी है।
प्रविष्ठ - हा.... चलो
सभी आर्मी मैन हर ओर बिखर जाते है।
नवनीत हर रास्ते पर देख रहा होता है । आलोक मेंन एंट्रेंस पर। और प्रविष्ठ आर्मी बेस के पास, और सुमेध सभी के क्लाउटर में।
सुमेध सबके क्वाटर में जल्दी जल्दी घुस हर एक जगह देखने लगा । ऐसे ही वो एक क्वाटर का डोर नॉक करता है पर खुलता नही।
सुमेध - कोई डोर क्यू नही खोल रहा..?
और खिड़की से घर में घुसता है और हॉल से होते हुए कमरे की और बढ़ तेजी से दरवाजा खोलता है।
सुमेध गन ताने - आज नही बचने वाला.....!
सामने स्नेहल होती है जो सिफोन की साड़ी पहन कानो में इयर फोन लगाए नाच रही होती है।
स्नेहल - आ जा आई बहार...
दिल है बेकरार
ओ मेरे राजकुमार
तेरे बिना रहा न जाय.......
और सामने सुमेध को देख चिल्लाने लगती है।
सुमेध - चुप....कितना चिल्लाती हो..!
स्नेहल - जी....आप..? ऐसे
सुमेध - मिस चश्मिश ज्यादा मत सोचो। मुझे हर जगह छान बिन करनी है और तुम डोर नही खोली तो....छोटे दरवाजे से आ गया
स्नेहल - छोटा दरवाजा भी है क्या...?
सुमेध - खिड़की...! लेकिन इस टाइम जानती हो खतरा है तो भी खिड़की मजे से खोल नाच रही हो...?
स्नेहल सुमेध की ओर आते हुए - सॉरी.... सुमेध...जी....
और साड़ी में फस सीधे सुमेध के ऊपर गिरती है।
और स्नेहल का माथा सुमेध के होठों से लग जाता है।
स्नेहल आंखे बंद कर लेती है। सुमेध वैसे ही लेटे रहता है कुछ समझ नही आता कि क्या करे उस पल।
तभी उसे बाहर से आवाज आती है ।
सुमेध उठता है ......स्नेहल खड़ी हो दूसरी ओर मुड़ जाती है।
सुमेध जल्दबाजी में भागते हुए - शायद कुछ प्रोब्लम है बाहर जाना होगा.... जो हुआ उसके बारे में बाद में बात करते है ..... खिड़की दरवाजे बंद कर लो
और चला जाता है स्नेहल अपने माथे को छूती है।
सुमेध बाहर आता है तो नवनीत एक आदमी को पकड़े ले जा रहा होता है और बाकी लोग भी उसके साथ होते है
सुमेध - इस आदमी को ऐसे क्यू पकड़े हो ...?
आलोक - यही है जिसका यहां ब्लास्ट करने का प्लान था।
सभी जैस लेकर जाते है वहा प्रविष्ठ बाकी ऑफिसर्स के साथ आता है। सब उससे पूछ ताछ कर रहे होते है।
पर वो कुछ बताने का नाम नही ले रहा होता है।
प्रविष्ठ सोचते हुए - ये मुझे जाना पहचाना क्यू लग रहा..?
ब्रिगेडीयर सर - तुम कुछ बोलोगे या हमे कड़े कदम उठाने होंगे....!
वो आदमी हंसते हुए - अब जो करना है कर लो मै नही बताने वाला। लेकिन आज आर्मी कैंप में फायर होगी.... आतिस बाजियां......बूम
नवनीत - सर इसे अभी उड़ा दूंगा।
आर्मी चीफ - नही ....इससे अभी बहुत कुछ उगलवाना है। पर पहले पता लगाना होगा बम किधर है..?
प्रविष्ठ इस आदमी को देखते हुए - कहा देखा था...? ( अचानक से चिल्लाकर ) सर.... बम पक्का बैंक में है। ऑर्डर दीजिए
सुमेध - पर तुझे कैसे पता..?
प्रविष्ठ - आज बैंक मे देखा था उसे साथ में बैग भी था।
ब्रिगेडीयर सर - गो एज सुन एज पॉसिबल
वो आदमी हंसते हुए - जब तक तुम लोग तैयारी करोगे .....सब खत्म। बस पांच मिनट और......
प्रविष्ठ तुरंत बैंक की और भागता है। सब उसके पीछे आते है।
नवनीत - प्रविष्ठ ड्रेस अप तो हो जा ...... खतरा है
प्रविष्ठ - अभी वहा कइयों को खतरा है।
और भागते हुए बैंक में आता है। और अपने बुलंद आवाज में चिल्लाता है - जल्दी बैंक खाली करो....!
सभी अचानक से उसे ऐसे देख कन्फ्यूज हो जाते है।
मुद्रा उसके पास आती है।
मुद्रा - प्रविष्ठ जी...अचानक से..क्या
प्रविष्ठ - प्लीज जल्दी बाहर जाइए यहां बम ब्लास्ट हो सकता है बिल्कुल टाइम नही है।
और कुर्सियो और डेस्क हर जगह हो बैग खोजने लगता है तब तक सभी लोग बाहर भागते है जहां बाकी के जवान उन्हे सेफ जगह भेज रहे थे।
प्रविष्ठ को बैग मिल जाता है और उसमे से वो बम निकाल डिफ्यूज करने लगता है।
मुद्रा - प्रविष्ठ जी.... बम डिफ्यूज करने वाला ड्रेस आप क्यू नही पहने..?
प्रविष्ठ हैरानी से मुद्रा को देख - तुम यही हो..! जल्दी बाहर भागो जान को खतरा हो सकता है
मुद्रा - आपकी जान को भी तो खतरा...!
प्रविष्ठ मुद्रा के गाल पर हाथ रख - इसीलिए तो बोल रहा हू जाओ मै अपनी जान को खतरे में नही देख सकता....!
मुद्रा शॉक होकर - मै आपकी जान..?
प्रविष्ठ - हम आर्मी मेंस की लाइफ का कोई भरोसा नहीं होता.....शायद आज बोलने का टाइम आ गया आई लव यू मुद्रा जब से तुम्हे बचाया तब से प्यार करता हु अब जल्दी भागो बाहर
और मुद्रा को धक्का देता है और कुछ लोगो को बोलता है उसे बाहर ले जाने को।
सभी बाहर टेंशन में होते है ।
आर्मी चीफ - बस डिफ्यूजर टीम आती ही होगी। तब तक प्रविष्ठ सब संभाल ही लेगा।
अचानक से प्रविष्ट बाहर बम लिए आता है और दूसरी ओर भागता है।
सुमेध - कहा जा रहा बम लिए..?
आलोक - डिफ्यूज हो गया क्या..?
प्रविष्ठ चिल्लाकर - टाइम नही है इतना की डिफ्यूज कर पाऊं ........ आखिरी सलामी का वक्त आ गया
नवनीत चिल्लाकर - तू पागल है । हम भी आयेंगे तेरे साथ। अभी डिफ्यूजर टीम आ ही रही।
प्रविष्ठ भागते हुए - बिल्कुल टाइम नही है कभी भी फट सकता है बम........हजारों की जान बचाने के लिए एक की जान जाय तो कोई गम नही.......!
और आर्मी कैंप के बाहर पहाड़ी साइड भागता है। सभी उसके पीछे भागे आते है।
प्रविष्ठ बम लेकर पहाड़ी से कूद जाता है और अचानक से जोर का आवाज होता है बम ब्लास्ट हो जाता है।
सभी अचानक से सुन्न पड़ जाते है। मुद्रा भागते हुए आती है लेकिन सामने उसे बस आग और धुआ दिखता है।
क्रमशः
Sachin dev
15-Apr-2022 03:08 PM
Very nice 👌
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Ashant.
21-Mar-2022 07:07 PM
👍👍👍👍👍👍
Reply
Inayat
13-Jan-2022 08:06 PM
Very intresting story likhi h aapne,
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