8TH SEMESTER ! भाग- 104( An Unconscious Break-1)
Chapter-30: An Unconscious Break
"निशा ने फोन पर कहा कि मैं तुम्हे उसकी ईमेल आइडी दे दूं और तुम उससे
ईमेल पर बात करो..."मेरे द्वारा छन्छुन्दर बोले जाने पर वो जल-भुन कर बोली...
"ये तुम लड़कियो के पास दिमाग़ नही होता क्या...अब ईमेल-ईमेल खेलने का कौन सा जुनून निशा को सवार हो गया है..."
"लड़कियो के पास तुम लड़को से ज़्यादा दिमाग़ होता है और निशा ने ऐसा इसलिए कहा क्यूंकी उसके डैड ने उसपर पाबंदी लगा रखी है, वो अब ना तो किसी से बात कर सकती है और ना ही किसी से मिल सकती है...मेरा अंदाज़ा सही था , you really a champu"
"उस डायन की ईमेल आइडी क्या मुझे सपने मे आएगी..."
"I have her email id..."अपना छाती चौड़ा करते हुए सोनम ऐसे बोली जैसे ओलिंपिक मे गोल्ड मेडल जीत लिया हो और ना चाहते हुए भी मेरी नज़र उसके चौड़ी होती हुई छाती पर जा पड़ी...
"वरुण, ये तुम्हारा दूसरा दोस्त भी मुझे लाइन मार रहा है...."
"क्या अरमान,एक तो ये तेरी मदद करने आई है और उसपर तू इसे अनकंफर्टबल कर रहा है..."सोनम और मेरे बीच खड़े होकर वरुण ने मुझे घूरा...
"मैं इसे अनकंफर्टबल कर रहा हूँ...?? या ये मुझे अनकंफर्टबल कर रही है...??? पहले देख तो ले..."
"हे मिस्टर. मैं कोई ऐसी वैसी लड़की नही हूँ ,समझे..."वरुण को सामने से धक्का देकर सोनम ने मेरी आँखो मे आँखे डालते हुए फायर किया....
"वैसे मेरा सवाल ये था कि निशा की ईमेल आइडी मैं कहाँ से लाऊ..."मैने तुरंत टॉपिक चेंज किया और मुद्दे पर आया...
"मैने कहा ना कि उसकी ईमेल आइडी मुझे मालूम है..."सोनम भी मुद्दे पर आते हुए बोली"आक्च्युयली...उसकी ईमेल id मैने ही बनाई थी..."
निशा की ईमेल आइडी सोनम ने बनाई है ये जानकार मैं थोड़ी देर तक इंतज़ार करता रहा कि अब वो मुझे निशा की ईमेल आइडी देगी... अब देगी..अब देगी... पर वो तो खुद को शाबाशी देती हुई, वैसे ही खड़ी रही... और जब कुछ देर तक और वो ऐसे ही रही तो मैं खीज उठा...
"निशा की ईमेल आइडी बताने का क्या लोगी
"ओह , सॉरी..मैं तो भूल ही गयी थी....हा हा हा "
"अपुन का स्टाइल ही कुछ ऐसा है कि लड़किया मुझे देखकर ही सब कुछ भूल जाती है...बिक्कट स्मार्ट हूँ मैं 😎"
"Oh..हेलो....ऐसा कुछ भी नही है...ओके " एक कागज पर निशा की ईमेल आइडी लिखकर सोनम बोली"अब मैं चलती हूँ..."
"सोनम...रूको,कुछ बात करनी है तुमसे...अकेले मे"
"कैसी बात करनी है तुम्हे, वो भी मुझसे.... वो भी अकेले मे... छी :,मैं जानती थी की तुम बिलके गंदे लड़के हो.. तुम्हारी शकल देख के कोई भी बता सकता है... "
सोनम शॉक्ड थी, अरुण ,सोनम को देखकर लार टपका रहा था और वरुण आँखो मे अँगारे लिए बस सोनम के जाने का इंतज़ार कर रहा था,ताकि वो मेरी ठुकाई कर सके....
"वरुण,वैसा कुछ भी नही है मेरे भाई,जैसा तू सोच रहा है "वरुण को एक कोने मे ले जा कर मैने समझाया कि मैं सोनम से निशा के बारे मे कुछ पुछना चाहता हूँ,जिससे जो उलझन इस समय मेरे दिमाग़ मे है ,वो सुलझ जाए....
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"कब से निशा को जानती हो..."बाल्कनी मे सोनम के साथ अकेले आने के बाद मैने पहला सवाल किया...
"लगभग तब से जबसे हम दोनो ने स्कूल जाना शुरू किया, we are chaddi-buddy...huhuhu..i'm too funny."
"तब तो ,तुम मुझे निशा के बारे मे बहुत कुछ या फिर ये कहे कि सब कुछ बता सकती हो..."
"और तुम्हे ऐसा क्यूँ लगता है कि मैं ऐसा करूँगी...?"मेरे ठीक बगल मे खड़े होकर वो बोली"मैं निशा के बारे मे सबकुछ जानती हूँ,लेकिन इसका मतलब ये नही कि मैं तुम्हे उसके बारे मे कुछ बताने वाली हूँ....तुम्हारा ये घटिया प्लान फ्लॉप है..."
"यहाँ बात फ्लॉप ,हिट, सुपरहिट, ब्लॉकबसटर,ऑल टाइम ब्लॉकबसटर की नही है...यहाँ बात निशा की है.. तुम्हे अंदाज़ा भी नही है कि इस वक़्त निशा किस हालत मे है ,इसलिए मुझे उसके बारे मे सबकुछ जानना ज़रूरी है..."
सोनम कुछ देर तक वहाँ चुप चाप खड़ी सोचती रही और फिर दीवार की तरफ जाकर नाख़ून से दीवार को खरोचने लगी.... शायद वो भी समझ चुकी थी की मै उससे कैसे -कैसे सवाल करने वाला हूँ निशा को लेकर....
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"पुछो...क्या पुछना चाहते हो..."मेरी तरफ पलट कर उसने कहा..
"सबसे पहले ये बताओ कि क्या तुम अब भी निशा के घर जाकर उससे मिल सकती हो..."
"नो...यदि मैने ऐसा किया भी तो उसके माँ-बाप मेरी खटिया खड़ी कर देंगे..."
"मैने ठीक ऐसा ही सोचा था,अब ये बताओ कि क्या तुम सोनम के साथ कॉलेज मे पढ़ती थी..."
"हां,हम दोनो एक दूसरे के बेस्ट फ्रेंड थे..."
"तो फिर विश्वकर्मा और निशा का क्या रीलेशन था..."
"तुम विश्वकर्मा को जानते हो...??... कैसे "
"कल ही उसे जाना है..."
"फिर क्यों जानना है..."
"बस समझ लो की... यही एक चीज है,जिसकी बवजह से निशा अपने घर मे कैद है, वरना मै तो उसे कब का ले उड़ता... इस कैदखाने से.... जब तक मेरे मन को विश्वकर्मा को लेकर संतुष्टि नहीं होगी... मैं निशा से कैसे संतुष्ट रह पाउँगा...?? इसलिए मेरा ये जानना बेहद जरूरी है... ताकि...."
"निशा हमेशा से ही अकेली रही थी,उसके माँ-बाप सिर्फ़ नाम के माँ-बाप थे..."मैं अपनी बात भी ख़तम नहीं कर पाया था की सोनम बोल पड़ी....
"अरमान, वो अक्सर मुझसे कहती की उसे कोई प्यार नही करता...जबकि उसने किसी के साथ कभी ज़रा सा भी ग़लत नही किया और फिर उसकी ज़िंदगी मे विश्वकर्मा नाम का एक तूफान आया ,जिसने पहले शांति से निशा को अपने जाल मे फसाया और फिर निशा को बदनाम करने लगा...उसने पूरे क्लास के सामने निशा को वेश्या कहा था, विश्वकर्मा के धोखे से निशा लगभग पूरी तरह मर चुकी थी...लेकिन कॉलेज के आख़िरी दिनो मे कुछ चमत्कार सा हुआ, निशा को देखकर ऐसा लगने लगा...जैसे कि उसे जीने की कोई वजह मिल गयी है,जैसे कि उसने अपने लिए एक सहारा ढूँढ लिया हो,वो सहारा तुम थे अरमान...यदि तुम निशा से ना मिले होते तो शायद वो अब तक ज़िंदा नही बचती...यदि तुम उसकी ज़िंदगी मे नही आए होते तो शायद अब तक वो घुट-घुट कर मर गयी होती या फिर सुसाइड कर लेती..."
"फिर उसने मुझसे झूठ क्यूँ कहा कि उसकी ज़िंदगी मे मैं पहला लड़का हूँ..."निशा के अतीत ने जब मेरे दिल को चीर डाला तब मैने अपना अगला सवाल किया...
"अरमान,कोई शक्स नही चाहेगा कि उसकी एक ग़लती की वजह से उसका आज और आने वाला कल पर बुरा प्रभाव पड़े और शायद इसीलिए निशा ने तुमसे ऐसा कहा... मुझे नहीं पता. विश्वकर्मा,निशा की ज़िंदगी की सबसे बड़ी ग़लती थी जिसकी सज़ा वो भुगत चुकी है...और अब वो नही चाहेगी कि उसकी ज़िंदगी का सबसे बुरा दौर उसके आज के अच्छे दौर को ख़त्म कर दे... बाकी तुमने इतना सब कुछ निशा के बारे मे जानने के बावजूद उसे नहीं छोड़ा और ना ही उससे इसका जिक्र किया... मतलब आदमी तो तुम समझदार हो... बाकी अब ये तुमपर है की तुम्हारा अगला कदम क्या होगा..."
"थैंक्स ,मैम .."बाल्कनी के बाहर आसमान की तरफ देखते हुए मैने बस इतना कहा
"अरमान..."वहाँ से जाते हुए सोनम बोली"यदि तुमने ज़िंदगी मे कभी कोई ग़लती की होगी तो तुम्हे इसका अहसास ज़रूर होगा.... तुम नहीं चाहोगे की उस गलती की सजा तुम अब भी भुगतो... बाकी निशा के लिए लड़को की कमी नहीं है... जिसका रिश्ता निशा के लिए आया है ना... डेविड. वो निशा को बचपन से जानता है और बहुत अच्छा लड़का है...एक दो बार मिली हूँ मै उससे.... फिर भी निशा तुम्हारे साथ अपनी जिंदगी बिताना चाहती है तो... सोच समझकर फैसला लेना. .आगे तुम्हारी मर्ज़ी..."