8TH SEMESTER ! भाग- 85( before the exam-5)
मैं अपनी हर सोच मे कामयाब नही हो सकता था और अपने साथी खिलाड़ियो पर पूरा भरोसा भी नही कर सकता था और बिना पूरे भरोसे की मैं डीडीजी रूल भी अप्लाइ नही कर सकता था...लेकिन मुझे ये मैच भी जीतना था...हमारे इस तरह से अचानक फॉर्म मे लौटने के कारण हॉस्टल वालो मे उम्मीद की किरण जागी और वो कलेजा फाड़ कर चिल्लाने लगे...और अरुण अपने साथी लौन्डो के साथ मिलकर मेरा नाम चिल्ला रहा था और साथ मे गाली भी बके जा रहा था.. कभी सिटी वालों को, तो कभी लड़कियों को... तो कभी मुझे... वो भी खुल्लम खुल्ला, तेज आवाज़ मे... उसे कोई कुछ बोल भी नहीं सकता था, ना ही रोक सकता था... क्यूंकि हॉस्टल के सीनियर्स भी हमारे बैक टू बैक बास्केट करने से जोशिया गये थे और वो भी मुझे गाली बकते हुए मेरा उत्साह बढ़ा रहे थे... और कमाल कि बात है कि, मुझे बुरा भी नहीं लग रहा था... बल्कि मै प्राउड फील कर रहा था.. इतने लोगो के बीच चारो तरफ अपना नाम सुनकर...
हॉस्टलर्स की इस हरकत से कॉलेज की लगभग सभी माल सिटी वालो की तरफ हो गई और अभी हाल फिलहाल शुरू हुए हॉस्टल के लौन्डो की हुड-दन्गि से वो सब चुप हो गयी थी और गाल फूला कर कभी मेरी तरफ देखती तो कभी हॉस्टल के लौन्डो की तरफ.....
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क्यूंकी मुझे ये मैच जीतना था इसलिए मैने हाफ-कोर्ट से ही बास्केट करने का सोचा.. क्यूंकि पॉइंट्स गैप बहुत ज्यादा था और हाफ कोर्ट से डायरेक्ट बास्केट करने पे बोनस पॉइंट मिलता है... लेकिन मैं डर भी रहा था क्यूंकी हाफ-कोर्ट से बास्केट करने की मेरी प्रॅक्टीस छूट चुकी थी और इसी उलझन मे एक ने मेरे कहे अनुसार बॉल मुझे पास की और मैने हाफ-कोर्ट से बास्केट करने का अपना मूड चेंज किया और आगे बढ़ते हुए एक जंप-शॉट मारा जिससे बॉल डाइरेक्ट रिंग के आर-पार हो गयी....
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गेम अब पलट रहा था ,इस बीच गौतम की टीम ने भी बास्केट किया.. लेकिन बस नाम मात्रा का...और वो वक़्त भी आया जब DDG रूल मुझे लगाना ही पड़ा, रेफरी ने इशारे से बताया कि अब सिर्फ़ 5 मिनिट्स ही बचे है और स्कोर उस समय 40-52 था....
"मुझे बोनस पॉइंट लेना ही होगा,लेकिन इतने दिन के गैप के बाद आइ आम नोट श्योर कि मैं लोंग डिस्टेन्स से बास्केटबॉल को रिंग के आर-पार कर दूँगा,...खैर कोई रास्ता भी तो नही है, TIME TO USE FREAKING DDG.."
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कोर्ट के वीक साइड मे जिधर बास्केटबॉल नही जाती उधर मैने अमर सर को लगाया जैसे कुछ देर पहले उन्हे सेंटर पर लगाया था और अपने टीम के शूटर को हिदायत दी थी कि उसका काम फुर्ती से सामने वाली टीम के बैक बोर्ड के पास पहुचना है,क्यूंकी यदि अमर सर से बास्केट करने मे कोई चूक हो जाती है तो शूटर तुरंत बास्केटबॉल झपट कर रिंग मे डाल दे...
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मेरे हाथ मे ग्रिप बनने लगी थी और जिसका नतीजा ये हुआ कि गौतम और उसकी पूरी टीम मेरे सामने नौसीखिया लगने लगी थी... मैने बॉल वीक साइड मे खड़े सीनियर को पास की क्यूंकी DDG फ़ॉर्मूला का फर्स्ट स्टेप यही था ...मैने जैसे ही वीक साइड मे खड़े अमर सर को बॉल पास की उन्होने वहा से डाइरेक्ट बास्केट करके 2 पायंट्स हमे दिला दिए....
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इस बार 2 पायंट्स मिलने के बाद तो हॉस्टल के लौन्डे खुशी से और नाचने लगे.. कुछ तो वही कोर्ट के बाहर घास पर ख़ुशी से गालिया देते हुए लोटने तक लगे... कुछ लड़के, वहा मौजूद लड़कियो को भी चिढ़ाने लगे...तो कुछ एक दो लड़की को गाली भी देने लगे.... गौतम का गुस्से से बुरा हाल था क्यूंकी उसकी ड्रिब्बलिंग को मैं बड़ी आसानी से तोड़ देता था...इसी बीच जोश -जोश मे मैने ऐश को देखकर आँख भी मार डाली
गुस्से से तमतमाया हुआ गौतम बास्केटबॉल को लेकर हमारी साइड बढ़ा लेकिन इस बार भी मैने उसके हाथ से बॉल को लेकर बास्केटबॉल कोर्ट के वीक साइड मे खड़े अमर सर को बॉल पास और उन्होने बॉल को रिंग की तरफ उछाला लेकिन बॉल बैक बोर्ड से टकरा कर नीचे गिरने वाली थी कि हमारे टीम के शूटर ने जिसे मैने वहाँ पहुचने के लिए कहा था उसने जंप मारकर एक जंप शॉट ठोक दिया.. बोले तो फिर से बास्केट 😎
इसके बाद तो हॉस्टल के लड़को ने तबाही मचा दी,ग्राउंड के पास रखी हुई चेयर्स को ज़मीन मे औधा लिटा दिया ,कुछ ने तो अपनी खुशी व्यक्त करने के लिए ग्राउंड के पास लगे पौधो को तोड़ डाला....साले जानवर कही के
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डीडीजी का फर्स्ट स्टेप कामयाब रहा था और साथ मे गौतम की टीम भी समझ गयी थी कि हम क्या कर रहे है और यदि मेरे हिसाब से देखा जाए तो मैं यही चाहता था कि वो हमारा खेल जान जाए...क्यूंकी जब तक फर्स्ट स्टेप फेल नही होता ,डीडीजी फ़ॉर्मूला का सेकेंड स्टेप यूज़ नही कर सकते... ये ऐसी सिचुएशन रहती है कि विपक्षी टीम कुछ भी करें... उसका फसना तय है.. क्यूंकि यदि फर्स्ट रूल फेल हुआ तो वो सेकंड रूल से पेलाएंगे और यदि नहीं... तो.. फिर फर्स्ट रूल तो है ही
गौतम और उसकी टीम ने सोचा कि मैं एक बार फिर से बास्केटबॉल अमर सर को पास करूँगा लेकिन वो ग़लत थे...मैं तो गौतम को बस अपने रास्ते से हटाना चाहता था और जब गौतम वीक साइड मे खड़े अमर सर को कवर करने उनकी तरफ दौड़ा तो मैं बास्केटबॉल अमर सर कि तरफ पास ना करके खुद ड्रिब्बलिंग करते हुए तुरंत आगे बढ़ा... गौतम के मेरे सामने ना होने के कारण, विपक्षी टीम को भेदना मेरे लिए बहुत आसान था और मैने बॉल को सीधे रिंग मे डाल दिया और रिज़ल्ट... 2 और पायंट्स हमारे खाते मे
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अब गौतम कंफ्यूज हो गया था शायद और वीक साइड से हटकर मेरे सामने आ गया था और अमर को कवर करने के लिए उसने दो मुस्टांडो को लगा दिया , टाइम बहुत कम था और उनके पायंट्स हमसे ज़्यादा थे..इसलिए उनकी टीम अब डिफेन्सिव गेम खेल रही थी, इसलिए मैने ddg का थर्ड रूल अप्लाई करने का सोचा..मेरे इस डीडीजी फ़ॉर्मूला(धड़ा धड गोल ) के फर्स्ट टू स्टेप कामयाब हुए थे और थर्ड स्टेप मैं अब यूज़ करने वाला था...
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गौतम के हाथ से बास्केटबॉल अपने हाथ मे लेना अब मेरे लिए कोई बड़ी बात नही थी और अबकी बार मैने जैसे ही बास्केटबॉल गौतम के हाथ से छीनी तो वीक साइड पर खड़े उनके दोनो प्लेयर आक्टिव हो गये और गौतम मेरे सामने आ गया...विपक्षी दल के उन पांच मूर्खो को ये नही मालूम था कि थर्ड स्टेप मे बोनस पॉइंट लिया जाता है यानी की बॉल मेरे हाथ मे आने के बाद मैं एक कदम ना तो आगे बढ़ाता और ना ही पीछे..बस जहाँ था वही से रिंग मे बॉल घुसानी थी...और मैने ऐसा किया भी, मैने हाफ कोर्ट से रिंग को निशाना बनाया और बॉल बास्केट कर दी...और इसी बास्केट के साथ हमे 3 पायंट्स मिले अब स्कोर आकर 49-52 पर पहुच चुका था....
"Now, time to use 4th step... Come on, girls.."मैने चिल्लाकर फुल जोश मे कहा...लेकिन उसी समय...ठीक...... उसी समय... ठीक उसी समय....रेफरी ने timeup का भिसील बजा दिया बोले तो गेम ख़त्म.......
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और जैसे ही उधर भिसील बाजी, मैं बास्केटबॉल जोर से कोर्ट मे पटक कर अपना सर पकड़ कर वही बैठ गया, मुझे बस कुछ और सेकेंड्स चाहिए थे... सिर्फ कुछ और सेकंण्ड्स.... लेकिन टाइम ख़त्म हो चुका था....इस वक़्त दोनो टीम्स के सपोर्टर्स शांत थे...गौतम की टीम भले ही जीत गयी हो लेकिन उनकी हालत ऐसी नही थी कि वो जीत का जश्न मना सके, क्यूंकि पिछले चंद मिनट के खेल ने लगभग वहा मौजूद सभी लोगो को इतना नर्वस कर दिया था कि... सिटी वालो को यकीन तक नहीं हो रहा था कि वो जीत चुके है और इधर हॉस्टल वालों को भी यकीन नहीं हो रहा था कि... इतने करीब आकार हम कैसे हार गये...??? पर सच तो सच होता है और सच यही था कि हम मैच हार चुके थे...उस वक़्त मुझे बहुत बुरा लगा ,क्यूंकी ये मेरे साथ लगातार दूसरी बार हुआ था ,मेरा डीडीजी फ़ॉर्मूला लगातार दूसरी बार टाइम की कमी की वजह से फैल हुआ था ,नेशनल के seminfinal मैच मे भी हम ऐसे ही हारे थे और आज का मैच हारने के बाद मैं ठीक उसी तरह सर पकड़ कर ग्राउंड मे मन गिरा कर उदास बैठा था जैसे की नेशनल टूर्नामेंट के सेमीफइनल मैच हारने के बाद बैठा था.... वो टीस मेरे सीने मे फिर से पैदा हो गई
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थोड़ी देर तक मैं ऐसे ही बैठा रहा, गौतम के टीम के प्लेयर्स और सपोर्टर्स जीत का जश्न मनाते हुए वहाँ से जा चुके थे लेकिन मेरे टीम के प्लेयर्स मुझे घेर कर वही मेरे पास बैठे थे...एक बुरी याद का ताज़ा होना सीधे लेफ्ट साइड मे असर करता है....लेकिन जब आपके पास अरुण जैसा खास दोस्त हो तो वक़्त को बदलने मे जरा भी देर नही लगती....
"शेर लोग रोया नही करते..."
"मैं रो नही रहा...बस कुछ बुरी याद ताज़ा हो गयी..."
"आजा हिला के आते है... सब बुरी यादो को बहा देंगे... You played well"
जवाब मे मैने अरुण को गुस्से से घूरा तो उसने मुझे सिगरेट की दो पॅकेट्स फ्री मे देने का इशारा किया...
"साथ मे एक बोतल दारू भी चाहिए "खड़ा होते हुए मैने कहा...
"दारू तो मेरी तरफ से..."अमर सर बीच मे बोले"वो भी भरपेट..."
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कॉलेज के माहौल और घटनाओ ने कभी मुझे मेरी सोच पर मज़बूती से खड़े रहने नही दिया... पर इसका मतलब ये नहीं कि मेरी मौजूदा हालत का जिम्मेदार मै नहीं बल्कि कोई और है... Ofcourse वो मै ही था, जिसने खुद कि जडे खोदी... क्यूंकि afterall कर्ता तो यहाँ मै ही था... और बचपन से हिंदी व्याकरण मे हमने पढ रखा है कि.. कर्ता ही हर कर्म का उत्तरदायी होता है.
ठीक एक दिन पहले मैने जहाँ धुआँधार पढ़ाई करने के बारे मे सोचा था वही अब मैं सीनियर हॉस्टल मे बैठकर दारू चढ़ा रहा था....दारू पीने के बाद जब गप्पे शुरू हुई तो अमर सर ने मुझसे पुछा की मैने ये सब कैसे किया... कैसे मै मैच के आखिरी 5 मिनट मे गेम को इतने करीब ले गया.. जबकि वो सब बहुत पहले हार मान चुके थे. गौतम और सिटी वालों से हम मैच जरूर हार गये थे, पर इस हार ने मुझे हीरो बना दिया था और हॉस्टलर्स के बीच मेरी popularity मे और इजाफा भी हुआ था. जिसके कारण मुझे अब लगने लगा था कि सिदार से ज्यादा अब मेरा नाम हॉस्टल मे चलता है... खैर, अमर सर ने मेरे प्लान की ट्रिक जाननी चाही...और मैने झूठ बोलते हुए कह दिया कि बस तुक्का फिट बैठ गया...जबकि ये सही नहीं था...असलियत ये थी कि नेशनल टीम का हिस्सा रहे मेरे साथी चार खिलाड़ी,जो कि मेरे ही स्कूल के थे... जब नेशनल से हम लोग बाहर हुए तो हमने एक दूसरे से वादा किया था कि धड़ा-धड़-गोल का फ़ॉर्मूला कभी भी किसी को नही बताएँगे,यहाँ तक कि अपने कोच तक को भी नहीं ..ये डीडीजी फ़ॉर्मूला हम पाँचो ने मिलकर बनाया था ,इसलिए हम इसे अपने तक ही सीमित रखना चाहते थे....मैं जानता था कि ये ग़लत है,लेकिन मैने फिर भी ऐसा किया...क्यूंकी जब हमारी टीम नेशनल टूर्नामेंट से बाहर हुई तो हम अंदर से टूट चुके थे...हमारी कई सालो की मेहनत रेफरी के गले मे अटकी वॉच के कारण बेकार हो चुकी थी और उसके बाद जो बास्केटबॉल छोड़ा तो आज जाकर पकड़ा था...
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"अरमान...10 दिन बाद पेपर है बे..."अरुण मेरे कंधे का सहारा लेते हुए बोला...
हम दोनो सीनियर हॉस्टल से दारू के नशे मे अपने हॉस्टल आ रहे थे...आज अरुण ओवरलोड हो गया था और मैने सिर्फ़ 2 पेग मारे थे....लेकिन फिर भी मैं नशे मे था.
"होने दे,साला मैं तो यूँ चुटकी बजाते हुए सब याद कर लूँगा...."और उसके बाद मैने चीखना चाहा लेकिन आवाज़ ही नही निकली... मेरी जीभ के साथ साथ मै पूरा का पूरा लड़खड़ा गया
"आगे बोल अपुन सुनिंग..."
"ये साली आवाज़ ही नही निकल रही..."
"अबे दो पेग मे ये हाल हो गया.... साले तुम फिर देश की सेवा कैसे करोगे..."खीस निपोर्ते हुए अरुण बोला...
"तो इसमे कौन सी बड़ी बात है,दारू पीने के बाद देश की सेवा करेंगे..."
उसके बाद हम दोनो एक दम चुप हो गये और आगे बढ़े...
"अरमान...देख दारू पिया हूँ,झूठ नही बोलूँगा...तू लौंडिया सेट कर सकता है और आज के मैच के बाद तो लौंडिया तुझ पर फिदा हो गयी होंगी...और क्या नाम है तेरी उस crush का..."
"किसकी बात कर रहा है..."हवा मे एक लात मारते हुए मैने पुछा... जबकि मुझे मालूम था की वो किसकी बात कर रहा है
"वही जिसे किसी और ने सेट कर रखा है...जो तेरे को भाव भी नही देती लेकिन तू उसके पीछे घूमता रहता है..."
"ऐश... ईशा "
"हां साली, वही...एक नंबर की चालू लड़की है बाप...अपुन को तो शुरू दिन से ऐसा लग रेला है कि...जो वो बाहर से इतनी भोली दिखती है वो अंदर से वैसे है नही...वो तो एक दम किसी डायन के माफिक...बोले तो पागल लगती है"
"ये क्या लड़कियो का टॉपिक लेकर बैठा है तू भी... दारू क्यूँ उतार रहा है.. माना कि लड़किया इम्पोर्टेन्ट है... लेकिन इतनी भी नहीं.. वैसे भी... I Love Daru More Than Girls...😎."
हम दोनो फिर रुके और अरुण इधर उधर ताक झांक करने लगा.. वो कभी अपने अगल देखता तो कभी बगल.. कभी आगे, तो कभी पीछे...
"क्या हुआ बे.. माता चढ़ गई क्या तुझे "अरुण को ऐसा करते देख मैने पूछा
"साआआल्लाआआआ....., हॉस्टल तो बहुत पीछे निकल गया..."
"किसने....किसने ये शरारत की हमारे साथ, बुला साले को... अभिच साले को 11.2 km/छ से फेक्ता हूँ... कभी पृथ्वी पर वापस नही आ पाएगा...."
"कमाल है...वाहह..."तालिया मारते हुए अरुण बोला"वैसे अभी मुझे एक कन्फ्यूषन है..."
"कन्फ्यूषन..."हमने u-turn लिया और हॉस्टल की तरफ चलने लगे...
"यही कि तूने अमर सर से ये क्यूँ बोला की बास्केटबॉल के ग्राउंड मे जो हुआ वो तो बस तेरा तुक्का था..."
"तो इसमे भेजा घुमाने वाली कौन सी बात है..सही तो कहा था मैने..."
"अब बेटा तुम अरुण जी से ही खेल खेलने लगे ...दारू पीने के बाद अपुन के पास सूपर पॉवर आ जाती है.. समझा.. कौन सी चीज गलत है और कौन सी चीज सही है... अपुन खट्ट से एक झटके मे समझ जाता हूँ .."
"तुक्का ही था बे..."
"नही,अपुन को मालूम कि वो तुक्का नही बल्कि तेरी काबिलियत थी... नेशनल खेला है तूने ..."
"देख हॉस्टल अब आ चुका है...अब चल भोपु की खोल के मारते है..."
"हट साले गे...अपना गे-यापा बंद कर...और दूर चल मुझसे..."
"किधर जा रहा है हॉस्टल का दरवाजा उधर नही,इधर है...और यही तो प्यार है पगले "
"आजा फिर प्यार करते है..."
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हम दोनो ने हॉस्टल के बाहर भले ही सोचा था कि अंदर जाकर पूरे हॉस्टल के लड़को को परेशान करेंगे लेकिन एक बार रूम मे घुसने के बाद ,हमे कुछ याद नही रहा... मुझे सिर्फ इतना याद था कि मै अपने रूम मे घुसा और लाइट बंद की... इसके बाद मेरी आँख सीधे सुबह खुली... .सुबह नींद खुलते ही जब मैने अपनी गर्दन इधर -उधर किया तो मुझे एक जोरदार झटका लगा..क्यूंकी मैं इस वक़्त अपने रूम मे नहीं... बल्कि हॉस्टल की छत पर लेटा हुआ था,जहाँ से यदि मैं नींद मे हल्का सा भी राइट टर्न लेता तो सीधे नीचे आ गिरता...... छोटा वाला हार्ट अटैक आ गया मुझे ये देखकर...
"शुक्र है कि रात को मैने ग़लती से भी राइट टर्न नही लिया वरना आँख यहाँ नही सीधे हॉस्पिटल मे खुलती..."बड़बड़ाते हुए मैं हॉस्टल की छत से अपने रूम पर पहुचा..."ये साला हो क्या रहा है...ये सारे कपड़े किसने ज़मीन पर फेके... साला, अरुण.... कॉलेज क्या अब मै चड्डी मे जाउन्गा.?? वैसे दीपिका मैम बहुत खुश होंगी मुझे चड्डी मे देखकर... एकदम जोशिया जाएंगी..... आज चड्डी मे ही कॉलेज जाऊं क्या...??? वैसे भी श्री अरमान को अब कौन रोकने वाला है इस कॉलेज मे..."
Raghuveer Sharma
27-Nov-2021 06:21 PM
🤣🤣🤣🤣 चड्ढी में कॉलेज भाई दंगे करवाएंगे आप तो
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