कोई तो बताये यार ये प्यार क्या होता
नमन मंच,
मेरे जज्बात,
कोई तो बताये यार ये प्यार क्या होता
दो दिलों की ये दासता होती ।
मेहबूब मेहबूबा के दिल का हाल होता ।।
हल्का हल्का एक नशा सुरूर ये चैन ले लेता नींद चुरा लेता ।
न करार होता खोया खोया वो प्रेमी हर पल रहता ।।
अपने भी लगते बेगाने
मन मजा कही कहीं न आता ।
पराये पराये सब लगते
एक वही वही बस मन को भाता ।।
जिक्र उसीका उसीका बस हर पल दिल को रास आता ।
गीत उसी के गा गा मन झूमता रहता ।।
प्रकृति का वो हर पल सुहाना लगता ।
जो साथ वो वो हो तो तपती धूप भी शीतल छाँव लगती ।।
भरी बरसात संग उसके मन को भाता ।
भीगे भीगे हम तुम जरा गीत कोई गाये मन ऐसा करता ।।
नज्म कोई उसकी आँखो को देख प्रेमी लिखता ।
गजल उसके होठों पर बना आशिक कर लेता
प्यार प्यार बस यही तो होता ।।
प्रेम प्रेमी बस समा एक दूजे में जाते ।
लड़ वो जमाने से जाते जो खिलाफ उनके प्रेम के कोई होता ।।
आँखो आँखो में इशारे भरी महफ़िल मे चुपके चुपके कर जाते ।
वो वादे वो कसमों का दौर होता ।।
इनकार इजहार रोना फिर हँसना हँसाना सब होता ।
याद में उसकी रातों को तारे अक्सर प्रेमी जन गिनते ।।
इंतजार इंतज़ार के बाद मिलन वही बस वही तो काम होता ।
दिवाना पागल जमाना करार देता बस यही यही तो प्यार होता ।
वर्षा उपाध्याय, खंडवा.
Mohammed urooj khan
09-May-2024 01:36 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Babita patel
08-May-2024 08:13 AM
Awesome
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