जब से मिले हो तुम
नमन मंच,
जब से मिले हो तुम
युं न देखो मुझको तुम ।
होश न खो बैठे कहीं हम ।।
मंद मंद मुस्करा कर दिल ले लिया ।
लूटे लूटे हम यारा बताओ जाये कहाँ ।।
होले होले मेरी जिंदगी में आये तुम ।
खो से गए जब मिले हम तुम ।।
लूटे लूटे यारा बताओ जाये कहाँ हम ।
चुरा लिया दिन का चैन रातों की नींद ।।
जब से मिले हो तुम ।
न वार तारीख का पता न
मेरे नाम का पता ।
तुम्ही बताओ यारा जाये कहाँ हम ।
जब से मिले हो तुम जहाँ से दूर हुए हम ।।
तेरी याद में आँसू बहाना भी अच्छा लगता ।
वो सुनी अमावस्या की रात भी पूनम की लगती रात ।।
कारी कारी बदरी लगती अच्छी उसमें भीगना अच्छा लगता ।