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मानवता (सरसी छंद )

*मानवता (सरसी छंद )*

मानवता को कुचल रहा जो,वह दानव मतिमन्द।
सदा नीचता करता रहता,निंद्य कृत्य हर गंद।।

मानवता की पूजा करना,धार्मिक कृत्य महान।
संवेदनाशील मानव ही,रखता सब पर ध्यान।।

जो उदारता का पुतला है,उसका संत स्वभाव।
 वह बनता सबका रखवाला,डाले मधुर प्रभाव।।

मानव बनना और बनाना,बहुत कठिन है काम।
मन मन्दिर को साफ रखे जो,वह पाये मधु धाम।।

जीव मात्र को गले लगाना,दिव्य स्तुत्य प्रिय कृत्य।
सभी देवगण खुश हो जाते,अनिल चन्द्र आदित्य।।

जिसके दिल में स्नेह भरा है,वही मनुज का भ्रात।
नहीं लगाता कभी भूल कर, जीव जंतु पर घात।।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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6 Comments

बहुत ही सुंदर सृजन और अभिव्यक्ति

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Shnaya

19-Dec-2023 11:36 AM

Nyc

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Sushi saxena

19-Dec-2023 11:12 AM

Nice one

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