गुज़ारा
नमन मंच
मेरी बोलती कलम,
गुज़ारा
खो गए हम बीते लम्हों के तले ।
गुजारा जो साथ तेरे किया था याद कर
लरजते ये आँसु मेरे ।।
एक टीस पीड़ा देते वो गुजरे पल ।
मिली नहीं वफ़ा ए इश्क हमको ।।
ये इश्क वाली गली रास न आई ।
हाय दे दी तूने सजा गुनाह तो बताया होता ।।
रंजो गम अपने ले बैठे
खुद ही खुद को सुनाते
सुनते ।
कहने को अब कोई अपना नहीं हक अब किसी पर अपना नहीं ।।
जो कहें गमे होगी दासता जग हँसाई डर लगता ।।
ये दिल भी बड़ा जालिम भूलना भी चाहता तुझको
वह तो याद तुझको करता ।
नाम अभी भी वह तेरा ले आंहे भरता ।।
गुजरे लम्हे हवा के झोंको से मंडराते पास मेरे ।
मद्धिम सी ले बयार भावना की ।।
अहसास कराते नाकामी का अपनी हार का ।
गली ये इश्क वाली रास न आई हमको ।।
सजा ऐसी मिली दोबारा दिल एतबार न करेगा आसानी से दुजे पर ।
बहार अब न जानें कब आयेगी इस चमन में ।
वर्षा उपाध्याय,खंडवा .
Mohammed urooj khan
07-Nov-2023 06:30 PM
👌🏾👌🏾👌🏾
Reply