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स्वयं सरस्वति मातृ शैलजा (मुक्तक)

*स्वयं सरस्वति मातृ शैलजा (मुक्तक)*

दंभ द्वेष से दूर खड़ी मां।
अतिशय अनुपम पावन महिमा।।
विद्या दान किया करती हो।
शुभ पुस्तक दे दुख हरती मां।।

तुम्हीं शैलजा सर्वसाधिका।
धर्म धुरंधर युद्ध नायिका।
मां दुर्गा का प्रथम नाम प्रिय।
अति कल्याणी संत पालिका।

शिव अतिशय प्रिय तुझको लगते।
सृष्टि मर्म सब तुझसे कहते।
महा शक्तिसम्पन्न सात्विकी।
तुझे देख सारे दुख भगते।

 वीरों में तुम महा वीर हो।
युद्ध क्षेत्र में परम धीर हो।
पूजा करते सदा राम जी।
भक्त हितैषी धनुष तीर हो।

 सर्व देवता तुझमें रहते।
राक्षस वध को प्रेरित करते।
सकल शक्तियों की तुम ज्वाला।
धर्म स्थापना हेतु फड़कते।

मां सरस्वती का हो गायन।
भाजनामृत गीतों पर वादन।  हंसवाहिनी नाम पवित्रम।
हो मां तव नियमित अभिवादन।।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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2 Comments

Mohammed urooj khan

21-Oct-2023 11:34 AM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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madhura

20-Oct-2023 11:31 AM

V nice

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