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लेखनी कहानी -05-Oct-2023 आँख का तारा



शीर्षक = आँख का तारा



पिछले तीन महीने से बच्चों की निर्मम तरीके से की जाने वाली हत्यायो का सीरियल किलर कुछ दिन पहले ही पकड़ा गया था इन तीन महीनों में शहर पूरी तरह से देहशत में आ गया था पार्क भी खाली नजर आने लगे थे बच्चों ने घर से निकलना बंद कर दिया था सब के दिल में एक खौफ सा बैठ गया था सब लोगो में एक ही बात का जिक्र हो रहा था और वो था उस सीरियल किलर का अक्सर सीरियल किलर लोगो को मारने के बाद अपनी कोई निशानी जरूर छोड़ कर जाते हे और ये भी उन्ही में से एक ही था ये हर मरने वाले बच्चें के चहरे पर एक अजीब सा मास्क छोड़ कर जा रहा था उनकी निर्मम तरीके से हथ्या करने के बाद और वो मास्क कुछ एलियन जैसी शक्ल का दिखता था गोल गोल आँखे पिचके से गाल और बड़ा सा गोल मस्तिष्क बहुत लोगो को ये लगने लगा था कि इन मर्डर के पीछे एलियन का हाथ हे सब लोगो में एलियन को लेकर एक अवधारणा पैदा हो गयी थी कि ये सब मर्डर कोई एलियन कर रहा हे।


पुलिस पर भी उनके अधिकारियो का बहुत प्रेशर था माता पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजनें से भी डर रहे थे आखिर कार बच्चें माता पिता की आँख का तारा होते हे उन्हें कोई कैसे उस देहशत भरे माहौल में बाहर भेज सकता था ऊपर से मीडिया भी पुलिस पर हस रही थी।


कई दिनों तक  ज़ब कोई सबूत हाथ नही लगा तब पुलिस को भी यही यकीन होने लगा कि शायद इन सब मर्डर के पीछे एलियन का ही हाथ हे, लेकिन कातिल कितना ही शातिर क्यू ना हो कोई न कोई सबूत पीछे छोड़ ही जाता और इस कातिल के साथ भी ऐसा ही हुआ जो मास्क वो इस्तेमाल किया करता था उन्ही को लेकर पुलिस ने छान बीन शुरू की और फिर उन्हें उस दुकान का पता लगा जहाँ से वो खरीदे जाते थे और फिर धीरे धीरे एक के बाद एक सबूत मिलते गए और वो कातिल पकड़ा गया जो कि कोई और नही बल्कि  स्कूलों में जा जाकर अपना जादू दिखा कर बच्चों को अपने जादू से मनोरंजन करने वाला एक जादूगर था जो की उन दिनों बहुत प्रचलित था।


पुलिस ने उसे धर दबोचा और उसके चुंगल से एक बच्चें को भी बचा लिया जो की उसका अगला शिकार होने वाला था वहाँ मिले सब सबूतों के मुताबिक वही कातिल था उन सब के पीछे,उसे पुलिस ने हथ कड़ी पहना कर जैल में बंद कर दिया था और कुछ दिन बाद उसे अदालत में पेश किया जाना था और आज वही दिन था हाई कोर्ट में उसके केस की सुनवाई थी बाहर मीडिया का हजज़ूम लगा हुआ था सब लोग जानने के इच्छुक थे कि आखिर कोई इतना निर्दय कैसे हो सकता है, आखिर किसी कि छोटे छोटे बच्चों से क्या दुश्मनी होगी जिन्हे वो इतनी बेरहमी से मार रहा था उसे ये भी ख्याल नही आया कि जिन्हे वो मार रहा है वो किसी की आँखों के तारे है उनका भविष्य है उनकी उम्मीदें है।


सब के मन में यही सवाल थे और आखिर कार वो घड़ी आ गयी थी ज़ब सुनवाई के लिए उसे गाड़ी में बैठा कर अदालत लाया जा रहा था। सब लोग उसे देख रहे थे वो कोई अधेड उम्र का आदमी था जिसके बड़े बड़े बाल थे वैसे तो ज्यादातर ने उसे अपनी जादूगर वाली वेश भूषा में ही देखा था आज उसे उसके असली रूप में देख रहे थे।


आखिर कार मीडिया के बीच से खींच कर उसे अदालत ले जाया गया और अब घड़ी थी सुनवाई की उन बच्चों के माता पिता भी वहाँ मौजूद थे जिसने उन्हें मारा था सब उसे सजा मिलती देखना चाहते थे जज साहब भी आन पहुचे थे और अब अदालत की सुनवाई होना थी।


कटघरे में खडे उस शख्स के पास एक वकील आया और बोला " तुम जानते हो तुम यहां क्यू खडे हो, आखिर तुम इतने निर्दयी कैसे बने उन मासूमो को मारते हुए तुम्हारे हाथ जरा नही काँपे, तुम्हे उनकी मासूमियत पर जरा तरस नही आया तुम इतने हैवान होगे ये तो किसी ने नही सोचा होगा घिन्न आती है तुम्हे इंसान कहते हुए तुम तो इंसान के भेष में राक्षस हो "


"हाँ हूँ मैं राक्षश काँपते थे मेरे हाथ उन बच्चों को मारते हुए लेकिन तब ही मुझे कुछ ऐसा याद आ जाता जो मुझे उन्हें मारने पर मजबूर कर देता था कोई भी व्यक्ति जन्म से बुरा नही होता उसे बुरा बनाता है तुम्हारा ये दोगला समाज जिसमे फिट बैठने के लिए इनके बनाये पैमाने पर खरा उतरना पड़ता है अगर तुम में कोई कमी है तो ये समाज तुम्हे अपने में शामिल नही करेगा उसे हर पल ये एहसास दिलाएगा कि वो हम में से नही है, उसका कोई अस्तित्व ही नही है उनके बीच चाहे वो कितनी कोशिश करले लेकिन ये समाज उसे नही अपनाता है " कटघरे में खडे उस शख्स ने कहा थोड़ा गुस्से से।


"अपने गुनाह को छिपाने के लिए समाज का पर्दा मत डालो" वकील ने कहा।


"मैं पर्दा नही डाल रहा हूँ हकीकत बता रहा हूँ, मुझे कोई अफ़सोस नही है कि मैंने उन बच्चों को मारा मैंने तो बस अपना बदला लिया है उन बच्चों से भी और उनके माता पिता से भी जो अपने बच्चों को बेदभाव का पाठ पढ़ाते है जज जो भी सजा सुनाएगा मुझे मंजूर है।" कटघरे में खडे शख्स ने कहा।


"आखिर तुम किस मिट्टी के बने हुए हो, तुम्हे वो वहाँ बैठे लोग नजर नही आ रहे है उनके चहरे तुम्हे दिखाई नही दे रहे है वो वही लोग है जिनके बच्चों को तुमने मारा है, आखिर ऐसा भी क्या हुआ था तुम्हारे साथ जो तुम उन मासूमो को अपना शिकार बनाने लग गए तुम्हारे अंदर की सारी दया ही ख़त्म हो गयी बताओ " वकील ने कहा।


जानना है ना मेरे साथ क्या हुआ था? क्यू मैं इतना निर्दयी बना सुनो बताता हूँ फिर शायद न्याय की कुर्सी पर बैठे इन न्याय दाता को भी फैसला करना भारी लगे और ये भी सोचने पर मजबूर हो जाए कि सिर्फ मैं ही गुनेहगार हूँ या ये सारा समाज मेरा गुनेहगार है


सुनो मेरा नाम है योगेश मेरा भी एक परिवार था तुम लोगो की तरह, जिसकी देखभाल करना मेरा जिम्मा था, मेरी पत्नि ने और मैंने प्रेम विवाह किया था जिसके चलते हमें हमारे घर वालो ने अपनाया नही था मेरी पत्नि दूसरी जात की थी और मैं दूसरी जात का भले ही हमारा धर्म एक ही था लेकिन मेरे घर वालो ने उसे नही अपनाया जिसके चलते मुझे और उसे सब कुछ छोड़ कर दुसरे शहर जाना पड़ा।


मैं जानता था कि वो हम दोनों के रिश्तों को नही अपनाएंगे लेकिन फिर भी एक आखिरी कोशिश की थी शादी के बाद मैं उसे अपने घर ले गया था लेकिन वहाँ से हमें उलटे पाँव भगा दिया गया हम लोग गांव से शहर आ गए।


ज्यादा पढ़ा लिखा तो नही था इसलिए मेहनत मजदूरी करके अपना और अपनी पत्नि का पेट पाल रहा था सर्दी, गर्मी बरसात हर मौसम में हम साथ थे आस पास के लोग भी अच्छे थे हमारा ख्याल रखते थे। शादी को पांच साल बीत गए न उसके घर वालो ने कोई खबर ली और न ही मेरे घर वालो ने कई बात तीज त्यौहार पर जाने का प्लान भी बनाया और गए भी लेकिन निराशा ही हाथ लगी उनकी नाराज़गी अभी भी बरकरार थी फिर हमने जाना ही छोड़ दिया।


शादी के इतने साल बाद भी औलाद का न होना मेरी पत्नि को अंदर ही अंदर खाये जा रहा था उसे लगता था उसने अपने माता पिता का दिल दुखाया है इसलिए उसके घर औलाद नही हो रही है मैं उसे समझाता बुझाता फिर एक दिन भगवान   ने हमारी सुन ली सात साल बाद मेरी पत्नि कमला गर्भ वती हुई इस बात से हम दोनों बहुत खुश थे अब हमारे उस घर में भी बच्चें की किलकारिया गूँजने वाली थी।


एक  एक दिन उसके आने का इंतज़ार किया था हम दोनों ने और फिर वो दिन आ गया ज़ब कमला को प्रस्व पीड़ा शुरू हो गयी और मैं उसे अस्पताल लेकर पंहुचा मैं बाहर खड़ा अपने बच्चें का इस दुनिया में आने का इंतजार कर रहा था और फिर वो घड़ी आ गयी ज़ब बाहर मुझे बच्चें के रोने की आवाज़ सुनाई दी लेकिन तब ही डॉक्टरनी अपना उतरा हुआ चेहरा मेरे पास लेकर आयी और मेरे बच्चें की तरफ इशारा किया


एक बार को तो मैं भी देख कर उसे घबरा गया कि आखिर मेरी पत्नि ने किसे जन्म दे दिया उसका सर गुब्बारे की तरह फूला हुआ था उसकी आँखे गोल गोल सी ऊगली हुई बाहर को आ रही थी मैंने डॉक्टर से पूछा कि ये सब क्या है


तब उसने बताया कि उसका बच्चा एक लाइलाज बीमारी से ग्रस्त है कोई नही कह सकता कि ये अपनी जिंदगी कब तक लिखवा कर लाया है चाहे तो ये अभी भी दम तोड़ सकता है नही तो ये ऐसे ही जवान हो जाएगा।

ये सुनना था कि मेरे पैरों तले जमीन निकल गयी मरता क्या न करता इतने सालो बाद घर के आँगन में बच्चें कि किलकारी गूँजी थी और भला उसमे उसका क्या कसूर उसे जैसा भगवान ने बना कर भेजा था वैसा ही वो इस दुनिया में आया था उसे न अपना कर भगवान का अपमान करने की हिम्मत मुझमे नही थी अपनी पत्नि के होश में आने का इंतज़ार किया और उसे सब बता दिया पहले तो वो भी बहुत रोई लेकिन बाद में खुद को संभाल लिया आखिर कार जैसी भी थी उसकी संतान थी नो महीने अपने गर्भ में रखा था, उसके आने का इंतजार किया था उसकी आँखों का तारा था जैसा भी था बस इन्ही सब के चलते उसने उसे अपनी छाती से लगा लिया और फिर एक रात अस्पताल में रुक कर हम लोग घर आ गए।

डॉक्टर ने कहा था कि ये ज्यादा दिन नही जी पायेगा इससे ज्यादा मोह मत लगाना लेकिन हमारे लिए तो वो एक खिलौना जैसा बन गया था जैसा भी था हमारा बच्चा था और शायद डॉक्टर गलत थी वो हमें छोड़ कर जाने के लिए नही आया था वो तो हमारे साथ ही रहने आया था भले ही उसे जो भी देखता अजीब सा मूंह बना लेता कोई तो उसे राक्षश कुल का कहता और तो और कोई उसे एलियन कहकर पुकारता।


लेकिन हम उनकी बातों को ज्यादातर सीरियस नही लेते, लेकिन धीरे धीरे हमारा बेटा अंकुर हाँ यही नाम था उसका बड़ा हो रहा था लोगो की बातें और अपनी तुलना दूसरों से होते देख सुन और समझ रहा था। लेकिन फिर भी उसकी माँ उसे समझा बुझा कर अपने पास रखती लेकिन कब तक अपने पल्लू से बांधे रखती।


हम भी चाहते थे वो जैसा भी है अपनी जिंदगी में आगे बड़े वो भी अपनी पहचान बनाये भले ही उसका सर बड़ा है और आँखे बिलकुल गोल बाहर को निकली हुई है लेकिन है तो वो इंसान किसी और दुनिया से तो नही आया है।


बस इन्ही सब बातों को ध्यान में रख कर ज़ब मैं उसे पढ़ाने के लिए स्कूल लेकर पंहुचा तब सब बच्चें उसे देख कर डर गए, वो बेचारा तो उन सब से दोस्ती करना चाहता था उनके साथ खेलना चाहता था लेकिन उन बच्चों ने उसे एलियन कहकर चिड़ाना शुरू कर दिया वो दस साल का मासूम अपने साथ होते उस व्यवहार को देख डर गया लेकिन फिर भी उसने हिम्मत नही हारी उसने उनका सामना करने की कोशिश की और तैयार होकर स्कूल चला गया


बच्चों ने उसे नही अपनाया हर बार उसका मज़ाक बनाते बच्चें ही नही अध्यापक भी उसे बिना गलती के क्लास से बाहर निकाल देते वो बेचारा तो बस पढ़ना चाहता था इसी के साथ बच्चों के माता पिता ने स्कूल में शिकायत कर दी कि ये बच्चा अगर हमारे बच्चों के साथ पड़ेगा तो हम नही भेजेंगे इतना डरावना बच्चा है कि सारे बच्चें डर जाते है चाहते तो वो अपने बच्चों को समझा सकते थे लेकिन नही उन्होंने ऐसा नही सिर्फ इतना ही नही उसकी उस बीमारी और उस चहरे की वजह से हमें अपना घर तक बदलना पड़ा क्यूंकि सोसाइटी वालो ने हमारी शिकायत कर दी थी कि इनके बच्चें से हमारे बच्चें डरते है उसे बीमारी है जो और बच्चों को भी बीमार कर सकता है।


उस मासूम के साथ ऐसा बर्ताव इन लोगो ने किया मेरा बच्चा हमारी आँखों का तारा एक दिन खुद को आग के हवाले कर बैठा उसे जलता देख उसकी माँ ने उसे अपने सीने से लगा लिया और खुद भी उसी के साथ जल कर राख हो गयी ज़ब तक मैं उन्हें बचाता सब कुछ खाक हो चुका था मेरी पत्नि मेरा प्यार मेरा बेटा मेरी आँख का तारा सब कुछ इन लोगो की वजह से बर्बाद हो गया था


मैं भी खुद को ख़त्म कर लेना चाहता था लेकिन तब ही मेरी आँखों के सामने अपने बेटे का जलता हुआ शरीर याद आ जाता और मैं कदम पीछे हटा लेता उस दिन के बाद मैंने सोच लिया कि मैं भी इन लोगो को उस दर्द और तकलीफ से गुजारूंगा जिससे मैं गुजरा हूँ मेरा भी आँख का तारा दूर हुआ है इनका भी होगा


मैंने कैसे भी करके खुद को संभाला और इन लोगो से बदला लेने का सोचा बच्चों को किस तरह से अगवाह किया जाए उसका प्लान बनाने के लिए मैंने कई साल तक जादू सीखा जानता था बच्चों को जादूगर ज्यादा अच्छा लगता है


अब बताओ कौन असली गुनेहगार है मैं या ये सब लोग जिन्होंने मेरे बेटे को एलियन बता कर उसका मज़ाक उड़ाया जिसके चलते वो अपनी जिंदगी ख़त्म कर बैठा और साथ ही उसकी माँ भी चल बसी मुझे कौन इंसाफ देगा मेरी मौत से तो इनके बच्चों को इंसाफ मिल जाएगा मेरे अंकुर का न्याय कौन करेगा बताओ कौन करेगा है जवाब किसी के पास क्यू उसे एलियन कहकर पुकारा गया जबकी वो तो इंसान की कोख से जन्मा था बस थोड़ा अजीब ही तो दिखता था तो फिर उसे इतनी बड़ी सजा क्यू दी तुम्हारे इस समाज ने क्यू उसे नही अपनाया उसे क्या चाहिए था एक स्नेह भरा हाथ एक स्नेह भरी थपकी

कटघरे में खडे उस शख्स की बातों ने सारी अदालत को खामोश सा कर दिया था सब लोग अपनी ही नजरो में गिर से गए थे कही न कही वो उसके गुनेहगार थे और उनके हाथ खून में रंगे नजर आ रहे थे।



समाप्त.....


प्रतियोगिता हेतु...


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7 Comments

Zakirhusain Abbas Chougule

23-Oct-2023 03:27 PM

Nice

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RISHITA

13-Oct-2023 01:05 PM

Awesome

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hema mohril

11-Oct-2023 02:40 PM

Awesome

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