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मंदिर की वो शंख ध्वनि

नमन मंच 
मेरे जज्बात,

 मंदिर की वो शंख             ध्वनि

सुन मंदिर के शंख की ध्वनि मन निर्मल हो जाता ।
मानों कानों मैं घोला हो भक्ति रस से डूबा कोई गीत ।।
हरदय बिच बस जाते प्रभू मानों जहां से वहीं विराजे मेरे हरी ।
प्रत्यक्ष प्रभू दर्शन का होता आभास ।।
जब होती मंदिर की शंख ध्वनि ।
मन मैं छवि बसी हरी तेरी भक्ति बिन पूजा के हो जाती ।।
नित्य कर्म से छुटकारा नही पाती ।
प्रभू तेरे द्वार जा नही पाती ।।
ये शंख ध्वनि एक भक्त का उसके हरी से 
मिलाप है कराती ।
प्यासी तेरे दर्श की 
दर्शन में पाती ।।
बिन पुष्प दीया बाती के भावों के भोग में लगाती ।

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3 Comments

वानी

24-Jun-2023 07:56 AM

Nice

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Punam verma

14-Jun-2023 01:20 AM

Very nice

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बहुत अच्छे

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