Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग- 65 ( Three Black Dogs-2)

"रुक साले को... अभी दिखाता हूँ, सीधे बम फेकता हूँ उसपर ."

वो चौकीदार अब भी वहाँ खड़ा हमे देख रहा था, उसके आगे आने की हिम्मत नही हो रही थी, तभी अरुण नीचे झुककर एक पत्थर उठाया और उसकी तरफ फेंका....

"भाग बे कुत्ते... बम है..."

"आआआआ....."चिल्लाते हुआ चौकीदार वहाँ से भाग गया....
.
"Bhu..? कहा घुसा है है बे.. डरपोक.. साले डेढ़ फुटिया..."

"Shhhh ..इधर हूँ "

"क्या हुआ...? फट गई इतने मे ही......"


उसके बाद अब हम तीनो के सामने जो नई परेशानी थी वो ये की  पेट्रोल लेने कौन जाए....पेट्रोल पंप वहाँ से लगभग 2 - 3 कि.मी. की दूरी पर था और इस वक़्त हम तीनो एक सुनसान सड़क पर खड़े थे...जहा हमे किसी का डर नही था

पहले तो पेट्रोल लाने का काम हम तीनो ने एकदुसरे पर थोपा...लेकिन जब अकेले जाने के लिए जब हम तीनो मे से कोई भी राज़ी नही हुआ तो प्लान ये बना कि हम तीनो बाइक को लुढ़काते हुए पेट्रोल पंप तक ले जाएँगे, वहाँ पेट्रोल भरवा कर ,बार जाएँगे और बार मे डिस्को दीवानी पर डांस  करेंगे.......
.

कॉलेज का हॉस्टल  हाइवे से थोडा अंदर था ,अभी हम तीनो हॉस्टल को हाईवे से मिलाने वाली पक्की सडक पर ही थे... .इसलिए पहला काम ये था कि कैसे भी करके हाइवे पर आना...जहाँ हम खड़े थे ,वहाँ से हाइवे को जोड़ने वाले सिर्फ़ दो रास्ते थे, एक रास्ता गर्ल्स हॉस्टल  के जस्ट सामने से होकर निकलता था तो दूसरा जंगल के अंदर की भूल भुलैया से होकर जाता था, जिधऱ अपना खूनी ग्राउंड और वो इमली का पेड़ था.. जहा कुछ लड़को के अनुसार एक लड़की ने कई साल पहले suicide कर लिया था ....


गर्ल्स हॉस्टल  के सामने इस वक़्त बहुत लोग जमा हो गये होंगे और उनमे से कही कोई हमे पहचान ना ले, इसका डर था....वैसे भी इलेक्शन और वेलकम पार्टी के बाद मैं काफ़ी फेमस हो गया था, इसलिए उस रास्ते से हाइवे तक जाना खुद के पैर मे कुल्हाड़ी मारने के जैसा था ....इसलिए हम तीनो वहाँ से तुरंत जंगल के अंदर कट लिए, ताकि गर्ल्स हॉस्टल  से कोई झाँके तो भी हमे देख ना पाए....अरुण इस वक़्त बाइक लुढ़का रहा था और मैं सिगरेट के कश मारते हुए अरुण से आगे चलते हुए उसे मोबाइल की रोशनी मे उसे रास्ता दिखा रहा था.


"चल  ,गर्ल्स हॉस्टल  की लड़कियो को पेल के आते है..."bhu एकदम अचानक से भड़क कर बोला,...

"क्या हुआ बे..."

"पेलने का मन कर रहा है,किसी को.."

"एक काम कर पैंट खोल और अपने हाथ का सहारा ले... अंधेरा है,कोई नही देख पाएगा...."

"अबे अरुण, ये तू उस भूतनी वाले रास्ते से क्यूँ ले जा रहा है..."मेरी बात को इग्नोर करते हुए bhu थोड़ा डर से चिल्लाया...

"यही एक रास्ता है..."

"बे साले,  वो आत्मा हम तीनो को दिख गयी तो....गला काट कर पेड़ पर लटका देगी..."bhu फटी मे फिर चिल्लाया

"ऐसा क्या..."मैंने कहा "मैने तो ये भी सुना है,कि जिसकी हाइट कम होती है...उसका कलेजा काटकर वो खा जाती है"

"कम हाइट मतलब.....?? यानी कि .मैं... अबे हट.. मै नहीं जा रहा उस रास्ते से "

"ऐसा है तो फिर जा अकेले यहाँ से वापस...  पैदल हॉस्टल कि तरफ..."


Bhu कि इस बार और फट गई.. कि इस तरफ उसे अकेले हॉस्टल जाना पड़ेगा तो दूसरी तरफ वो भुतहे पेड़ के पास... मतलब एक तरफ कूआ, तो दूसरी तरफ कनखजुरा... उसने हम दोनों के साथ ही रहने मे अपनी बेहतरी समझी और इसके बाद चुप -चाप हमारे साथ चलने लगा...बाइक लुढ़का-लुढ़का कर हम तीनो उस इमली के पेड़ के पास पहुचे ,जहाँ पर एक लड़की लोगो को किताब लिए अकसर  दिखाई देती थी.... जिसके बारे मे कहा जाता था कि हॉस्टल मे कई साल पहले उसका रेप करके उसे मारकर यहाँ जिन्दा लटका दिया गया था... अब ये सच था या झूठ क्या पता... 
"अरुण,रुक...मूत के आता हूँ..."इमली का पेड़ आते ही मैने अरुण को रुकने के लिए कहा और bhu कि फाड़ते हुए मैं ठीक उसी इमली के पेड़ के नीचे गया...


मुझे ऐसा करते देख अरुण ने भी यहीच ट्रॉय करने का सोचा और जब मै वापस आया तो बाइक कि कमान मेरे हाथो मे देकर.. अरुण भी उसी इमली के पेड़ के ठीक नीचे गया और इधर, मै bhu के साथ अकेले थे... मैने धीरे -धीरे गुनगुना चालू कर दिया, जैसे हॉरर फिल्मों का म्यूजिक होता है... और सर नीचे झुका लिया...

"अरमान...?? क्या कर रहा..."

"मै अरमान नहीं... ऐश्वर्या हूँ... ऊपर देखो मेरी लाश आज भी ऊपर लटकी हुई दिखाई देगी... और थोड़ी देर बाद तुम तीनो कि भी..."

"कक्कक्या..."bhu हकलाने लगा...

"ऊपर देखो..."

Bhu ने धीरे -धीरे अपनी गर्दन ऊपर कि और जैसे ही वो ऊपर देखने लगा, मै जोर से उसके कान मे चिल्लाया....

"बोऊइएह्ह्ह...."

मेरे चिल्लाते ही bhu काँप कर दूर छोटाक गया और मुझे गाली देने लगा... मेरे चिल्लाने से डरने वाला bhu अकेला नहीं था.. Infact, अरुण जो इमली पेड़ के नीचे अपनी टंकी खाली कर रहा था.. वो भी मेरे ऐसे अचानक चिल्लाने से काँप उठा...

"साले... हाथ मे पेशाब कर दिया मैने... तेरी आवाज़ सुनकर..."इमली के पेड़ के नीचे से अरुण चिल्लाया और उसने भी मुझे प्यार भरी गालिया दी....

उसके थोड़ी देर बाद हमारा सफर फिर से शुरू हुआ...

"यार अरमान...अब वो भूतही लौंडिया, इमली पेड़ के नीचे पढ़ नही पाएगी..."चलते -चलते अरुण ने अपने मन कि शंका प्रकट की

"वो क्यूँ..."

"हम दोनों ने मूत्र विसर्जन जो कर दिया है वहाँ...उसकी बदबू से वो कुछ स्टडी नही कर पाएगी ,so sad "

"सब साला चूतियापा है, कोई भूत मूत नही है उधर...वरना दो बार हम वहाँ गये,वो हमे दिखी क्यूँ नही..."

"किसी ने एक बार भी इमली के पेड़ के दूसरी तरफ नज़र मारी थी क्या...? उसने आत्महत्या उसी तरफ कि थी, या फिर जसे मार के वही लटका दिया गया था.. हम लोग तो रोड साइड वाले हिस्से की तरफ ही हर बार गये है.. दूसरी तरफ तो आज तक झांका ही नहीं... क्या पता, आज भी उसकी लाश वहा लटकी हुई दिखाई पडे...??"भूपेश ने कहा, जिसे सुनकर हम तीनो के ही कदम वही के वही रुक गये,...

भूपेश सही कह रहा था, हम तीनो ने पेड़ के दूसरी तरफ एक बार भी नही देखा था,..और इस वक़्त अंजाने मे ही मुझे ऐसा लगने लगा कि वो लड़की जरूर उस इमली के पेड़ के दूसरी तरफ लटकी हुई है... बस ये खयाल आया और बाकी का काम मेरी imagination power ने कर दिया..

"एक बार देख के आएँ क्या,...इमली के पेड़ के दूसरी तरफ "bhu ने एक बार फिर अपना मूह फाडा...

साला अभी तक मैं और अरुण कितना डेरिंग बन रहे थे,लेकिन अब हम दोनो की हालत ख़स्ता हो गयी थी, अरुण का तो पता नही,लेकिन मेरी सिचुयेशन ऐसी थी कि मुड़कर पीछे देखने तक की हिम्मत नही थी क्यूंकि सडक पर आगे बढ़ते -बढ़ते हम लोग थोड़ा दूर आ गये थे और यदि अब पीछे मुडे तो इमली के पेड़ का वही दूसरा हिस्सा हमें सीधे दिखाई पड़ता जिधऱ उस लड़की ने अपने प्राण त्यागे थे. रही सही कसर वहाँ बहने वाली हवाओं ने पूरी कर दी....जैसे ही हमारे पीछे तेज हवाओ से कुछ आवाज़ हुई... ,हम तीनो वहाँ से तेज़ी से खिसक लिए...अरुण बाइक का हैंडल पकडे  बाइक दौड़ा रहा था और मैं, bhu के साथ बाइक को अपनी पूरी ताकत  से धक्का दे रहा था ......
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हाइवे की डाइरेक्शन हमे मालूम थी,इसलिए हम तीनो उसी तरफ बाइक को दौड़ाते रहे और जब तक प्रोफेसरस के सरकारी क्वार्टर तक नहीं पहुंच गये, हम तीनो पूरा जी जान लगाकर बाइक सडक पर ऐसे ही दौड़ाते रहे...  सरकारी क्वार्टर्स के पास पहुंचकर हूं तीनो ने चैन की साँस ली....

"वाकई मे फट गयी थी बे..." हान्फते हुए मै बोला..."bhu, साले.. तू अपना मूह बंद करके रक्खा कर...खामखा फाड़ दी..."
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वहाँ से पेट्रोल पंप तक पहुचने मे हमे 15 मिनट लगे, बाइक की टंकी हमने जोश -जोश मे पेट्रोल से फुल करवाई और बाइक पर बैठे....शुरू-शुरू मे तो हमने सोचा था कि शांति से शरीफो की तरह पेट्रोल भरवा कर पैसे देंगे और वहाँ से चलते बनेंगे...लेकिन अचानक ही अरुण को ना जाने क्या सूझा, जब हम तीनो बाइक मे सवार हो गये तो वो मेरे कान मे फुसफुसाया...

"अबे चल भाग चलते है...बिना पैसे दिए..."

"सच मे..."मै भी फुसफुसाया

"हां..."

"एक मिनट. भैया, बाइक आगे बढ़ाकर पैसे देता हूँ... "बोलकर मैने बाइक कम स्पीड मे थोड़ा आगे कि और फिर ज़ोर से एका एक एक्सेलरेटर बढ़ाया.... रात को उस समय पेट्रोल पंप पर वो अकेला ही था.. वो हमें पकड़ता कि पेट्रोल पंप संभालता...🤣अपनी इस हरकत पर हम तीनो ही पेट पकड़ कर हंस पड़े.. और इस कदर हँस रहे थे कि बाइक का बैलेंस तक बिगड़ने लगा...

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3 Comments

Barsha🖤👑

26-Nov-2021 06:01 PM

बहुत खूबसूरत भाग

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Shalini Sharma

08-Oct-2021 09:28 PM

Very nice

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Niraj Pandey

07-Oct-2021 01:48 PM

👌👌

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