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संगीत का प्रभाव (मुक्तक)


*27 मई,2023*
*शीर्षक: संगीत का प्रभाव (मुक्तक)*

सजी संगीत की महफिल,सुहानी खूब लगती है।
प्रदर्शन गीत गायन का,मधुर  ध्वनि दिल सरसती है। 
भुला कर क्लेश कष्टों को,सभी दर्शक प्रफुल्लित हैं। 
परम मोहक सहज सुंदर,रसीली छवि पसरती है।

 थिरकते लोग  दिखते हैं,मचलते नृत्य करते हैं।
लगाते तान मनभावन,सुरीले स्वर विचरते हैं।
थकाने मिट सकल जातीं,सभी में जोश भर जाता।
लगे यह जिंदगी न्यारी,सभी में प्रेम पलते हैं।

 मुखर नर्तन कला मोहन,प्रखर गायन विधा कोमल।
सभी के भाव पावन हैं,सभी में रस भरा निर्मल।
सभी करते प्रशंसा हैं,सभी मुस्कान भर लेते।
उमंगों का न पूछो कुछ,सभी  उल्लास से मलमल।

 लहर उठती बहुत स्नेहिल,मधुर संवाद सुन सुन कर।
बहारों में फिज़ा होती,उमड़ता स्नेह गुन गुन कर।
पराया शब्द मिट जाता,अलौकिक दृश्य दिखता है।
मिलन होता समुंदर से,सहज संगीतमय बन कर।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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