लेखनी प्रतियोगिता -02-May-2023 बिन ब्याही माँ
बिन ब्याही माँ
" हेल्लो ! सूरज तुम्है एक खुशी की खबर सुनानी थी। क्या तुम बता सकते हो क्या खुशी की खबर हो सकती है अच्छा तुम गैस करो। यदि सही गैस किया तब तुम्है मै एक मीठा सा चुम्बन दूँगी। " ' संजना चहकती हुई बोली।
" आजकल कोई रिजल्ट भी नहीं आना? तुम्हारे घर में तुम्हारे अलावा किसीकी शादी भी नहीं होने वाली ? कहीं तुम्हारे पापा ने तुम्हारा रिश्ता तो तय नही कर दिया ?" , सूरज ने मुस्कराते हुए जबाब दिया।
" सूरज तुम हमेशा उल्टा ही बोलते हो कभी तो शुभ बोल लिया करो। मै तुम्हारे अलावा ओर किसी के गले नही पड़नेवाली ? तुम गैस तो करो ? " संजना नाराज होती हुई बोली।
"अच्छा मै हारगया अब तुम ही सुनादो क्या खुशी की बात है ? कहीं तुम्हारी करोड़वाली लाटरी तो नहीं निकल आई है ? " , सूरज हसता हुआ बोला।
" सूरज मै तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली हूँ अब तुम बाप मनने वाले हो?" संजना हसती हुई बोली।
" संजना तुम्हारा दिमाग तो नहीं खराब होगया जो तुम इसे खुशी की बात बताकर नांच रही हो। यदि यह सही है तो बिन ब्याही माँ बनने के बाद तुम्हें लोग बदचलन कलमुंही बैश्या और न जाने क्या क्या नाम रख देंगे। यह भी कभी सोचा है ? " सूरज नाराज होता हुआ बोला।
" सूरज यह तुम क्या कह रहे हो मुझे तो ऐसा महसूस होरहा है कि तुम्हारा दिमाग ठीक नहीं है। मैने क्या कुछ गलत किया है। मैने उस दिन कितना मना किया था कि यह शादी से पहले ठीक नहीं है लेकिन तुम तो उस समय पागल होगये थे और मेरे इंकार के बाद भी तुमने मुझे मजबूर कर दिया था। आज बहकी हुई बातें कर रहे हो यह सब क्या है ?" संजना ने फौन पर ही दहाड़ते हुए कहा।
"संजना वक्त की नजाकत को समझने की कोशिश करो अभी हमारी शादी नहीं हुई। यदि मेरे मम्मी पापा को यह सब मालूम होगा वह तुम्हें अपनी बहू स्वीकार नहीं करेंगे। क्यौकि मै उनको जानता हूँ।वह इस कन्डीशन में हमारी शादी को मंजूरी नही देंगे।" , सूरज समझाते हुए बोला।
"सूरज पहले यह बताओ तुम मुझे प्यार करते हो अथवा नही ।क्या यह सब अपनी हबस पूरा करने का बहाना था। उस दिन तो तुम इतनी आधुनिकता का बखान कर रहे थे। इसमें मेरा क्या दोष है ? यह सब तुम्हारी ही जिद का परिणाम है।" संजना बोली।
"संजना ! तुम इतनी परेशान क्यौ होरही हो हम इस बच्चे को गिरवा देंगे जिससे सब झंझट समाप्त हो जायेगा। न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी ? " सूरज ने जबाब दिया।
"सूरज ! मेरी भी बात सुनलो मै यह बच्चा गिरवाने वाली नहीं हूँ। यदि तुम्हारे घर वाले नही स्वीकारते कोई बात नही तुम तो मेरे साथ हो कि नहीं यह भी बतादो ? " ,संजना ने प्रश्न किया।
"संजना तुम तो जानती हो मेरे पापा हर्ट के मरीज है उनको दो बार अटैक आ चुका है इसलिए यह जिद मत करो प्लीज मेरी बात मानलो और यह बच्चा गिरवालो।" सूरज रिक्वैस्ट करता हुआ बोला।
"देखो सूरज ! मेरी बात ध्यान से सुनलो मै इस बच्चे को इस दुनिया में लाऊँगी। चाहे इसके लिए मुझे बिन ब्याही माँ बनना पडे़ वह भी मंजूर है। यह मेरा अंतिम फैसला है । " और इतना कहकर संजना ने फौन काट दिया।
संजना और सूरज के बीच जो वार्तालाप चल रहा था उसे संजना की मम्मी बाहर दरवाजे पर खडी़ सुन रही थी। जब संजना ने अपनी मम्मी देखा तब वह अपनी मम्मी के गले लगकर रोते हुए बोली," मम्मी मुझे माँफ करना मुझसे बहुत बडी़ भूल होगयी है । मै इस बच्चे को जन्म अवश्य दूँगी। मै सूरज के मुँह पर तमांचा मारना चाहती हूँ और उसे इस बात का एहसास कराकर रहूँगी कि औरत क्या नहीं कर सकती है ?"
उसकी मम्मी ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की कि संजना ऐसा करना बहुत कठिन है। यह समाज एक बिन ब्याही माँ को कभी स्वीकार नही करेगा। यह पुरुष प्रधान समाज है। पुरुष कुछ भी कर सकता है। इस लिए तू यह जिद छोड़दे।
लेकिन संजना पर इसका कोई असर नहीं हुआ। और इसके बाद उसकी मम्मी उसे नैनीताल लेकर चलीगयी। वहाँ उसने एक बच्चे को जन्म दिया। जिसका नाम नमन रखा।
सूरज ने शादी तो की लेकिन उसका कुछ समय बाद ही तलाक होगया। कुछ समय बाद उसके मम्मी पापा की एक रोड एक्ससीडैन्ट में मौत होगयी। और सूरज बिल्कुल अकेला रहगया। अब उसे संजना की याद आने लगी। सूरज को उसके दोस्त ने बताया कि संजना नैनीताल मे रह रही है।
सूरज संजना की खोज करते हुए नैनीताल पहुँच गया। सूरज ने बहुत कोशिश की परन्तु संजना का उसे कही पता नहीं चला। वह हारकर लौटने वाला था ।
वह वहाँ एक पार्क में बैठा हुआ था। उसी समय वहाँ एकछः सात बर्ष का बच्चा उसके पास आया ।
वह बच्चा सूरज से पूछने लगा," अंकल आप यहाँ इतने परेशान क्यौ बैठे हो? "
सूरज बच्चे से बहुत प्रभावित हुआ और बोला,: बेटे आपकहाँ रहते हो तुम्हारा नाम क्या है?"
बच्चा बोला ," मेरा ना नमन है मेरे पापा का नाम सूरज है मेरी मम्मी का नाम संजना है। मै अपने पापा से बहुत नाराज हूँ क्यौकि वह मुझसे बहुत दूर सात समन्दर पार रहते हैं। यह सब मेरी मम्मी ने बतलाया है। "
सूरज यह सब सुनकर आश्चर्यचकित होगया। क्यौकि वह अपना नाम और संजना का नाम सुनकर सोचने लगा कि यह मेरा ही बेटा है।
सूरज ने नमन को चाॅकलेट दिलवाई और वह उसके साथ उसके घर पहुँच गया क्यौकि संजना कुछ ही दूरी पर रहती थी।
संजना नमन के साथ सूरज को देखकर बोली," यहाँ अब किस लिए आये हो?
सूरज बोला ," संजना मुझे माँफ करदो मैने उस दिन जो किया मै उसके लिए माँफी मांगता हूँ मैने तुम्हें कहाँ कहाँ नही ढूढा़ लेकिन तुम्हारा कही पता नहीं चला। तुमने अपना नम्बर भी बदल लिया था। "
" नहीं सूरज तुमने मेरे साथ जो किया सब ठीक है मेरा तुम्हारा कोई रिश्ता नहीं है । मै तुम्है भूल चुकी हूँ ?" संजना बोली।
" संजना यदि तुम मुझे भूल गयी होती तो नमन को क्यौ बताया है कि मै उसका पिता हूँ? मै सात समन्द पार रहता हूँ। " सूरज ने पूछा।
सूरज मै इस समाज को कैसे कहूँ कि मै बिन ब्याही माँ हूँ ? इसी लिए तुम्हारे नाम का सहारा लिया है। जब बच्चा पूछता है कि मेरे पापा कहाँ है तब उसे भी झूंठ बोलकर समझाया है। और मै कर भी क्या सकती थी ?" संजना बोली।
"संजना मेरे साथ चलो अब जो भी हुआ वह सब कुछ भूल जाओ मै तुम्है स्वीकार करने को तैयार हूँ?" सूरज बोला।
"सूरज मेरी एक शर्त है मेरे मम्मी पापा भी मेरे साथ रहेंगे। यदि तुम इसके लिए तैयार हो तो मै हाँ कर सकती हूँ।" संजना बोली।
इसके बाद संजना के मम्मी पापा भी इसके लिए तैयार होगये और सूरज और संजना ने मन्दिर में ईश्वर को साक्षी मानकर शादी करली और संजना अब बिन ब्याही माँ नही थी। इस तरह संजना अब सूरज की अर्धांगिनी थी।
आज की दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना।
नरेश शर्मा " पचौरी "
Abhinav ji
03-May-2023 07:56 AM
Very nice 👍
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सीताराम साहू 'निर्मल'
03-May-2023 07:49 AM
बहुत खूब
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Punam verma
03-May-2023 07:18 AM
Very nice
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