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चाँद से बन जाये

नमन मंच
मेरे जज्बात, 
    

               चाँद से बन जाये


चलो चाँद से हो जाँये। 
राम पुकारे राम के हो जाए।। 
रहीम बुलाये रहीम के पास जाए
जाए। 
सबको प्रकाश रूपी खुशी दे जाये। 
प्रकाश रूपी दे उजियारा जग को रोशन कर जाए ।। 
सकल मिटा दे तमस। 
चाँद कभी किसी मजनु की लैैला
बन जाता। 
तो कभी किसी लैैला का मजनू बन जाता।। 
चलो चाँद से हो जाए। 
कभी ईद तो कभी पूनम का
बन जाए।। 
नही भेद छोटे बड़े काले गोरे का वो करता। 
झोली भर भर देता वो सबको खुशियों की सौगात।। 
आता वो हर रात तारों की बारात ले। 
बेदाग मेरी नजर वो तो।। 
वो दाग जो है वह दाग नही
बूढ़ी माँ ने लगाया काजल। 
जो लगे न दुनिया की नजर। 
हर माँ जो लगाती अपने लाल को
जो लगे न किसी की नजर। 
चलो चाँद से बन जाए एक बार फिर इंसान बन इंसानियत बताये।। 
किसी रोते हो हँसा जाए। 
किसी भटके को राह दिखा जाये।। 
किसी गिरे को उठा दे मानवता बता जाए। 


वर्षा उपाध्याय
खंडवा, एम. पी.

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3 Comments

Renu

28-Mar-2023 09:32 PM

👍👍🌺

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Haaya meer

28-Mar-2023 08:35 PM

Nice

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बढ़िया लिखा है आपने 👏👏👌👌

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