कबीर दास जी के दोहे

0 भाग

40 बार पढा गया

1 पसंद किया गया

जाके जिव्या बन्धन नहीं, ह्र्दय में नहीं साँच वाके संग न लागिये, खाले वटिया काँच।।  ...

×