कबीर दास जी के दोहे

255 भाग

38 बार पढा गया

1 पसंद किया गया

भक्ति गेंद चौगान की, भावे कोई ले जाय कह कबीर कुछ भेद नाहिं, कहां रंक कहां राय।। ...

अध्याय

×