1 भाग
395 बार पढा गया
11 पसंद किया गया
जिंदगी इक पहेली जिंदगी मेरी धूप छांव सी लगी, कभी सुलझी कभी उलझी पहेली लगी कभी खुशी कभी गम दे जाती है, जिंदगी हर दम नए रूप दिखाती है। चाहूं जो ...