1 भाग
300 बार पढा गया
10 पसंद किया गया
जब सुबह उठूँ उदासी से भरी और धूमिल सी हो उम्मीद कोई तुम बनकर किरण पहली- पहली मेरे आँगन में आ करके तुम इन सूनी आँखों में मेरी इक उम्मीद की ...