फर्ज

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इंसानियत का फर्ज हमने खूब निभाया है यहांँ बदलते बदलते खुद को  कितना बदला यहांँ प्यार सब का मुझको भला मिले यहांँ औरों के लिए अपने आप को संभाला यहांँ घर ...

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