कबीर दास जी के दोहे

255 भाग

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सोना सज्जन साधू जन, टूट जुड़े सौ बार दुर्जन कुम्भ कुम्हार के, एइके ढाका दरार।।  अर्थ : कबीरदास जी कहते हैं कि सोने को अगर सौ बार भी तोड़ा जाए तो ...

अध्याय

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