कबीर दास जी के दोहे

255 भाग

47 बार पढा गया

1 पसंद किया गया

माला तो कर में फिरे, जीभ फिरे मुख माहि मनुआ तो चहुं दिश फिरे, यह तो सुमिरन नाहि।।  अर्थ : कबीरदास जी कहते हैं कि माला घुमाने से या मंत्रो का ...

अध्याय

×