255 भाग
72 बार पढा गया
1 पसंद किया गया
चली जो पुतली लौन की, थाह सिंधु का लेन आपहू गली पानी भई, उलटी काहे को बैन।। अर्थ : जब नमक सागर की गहराई मापने गया तो खुद ही उस खारे ...