कबीर दास जी के दोहे

255 भाग

72 बार पढा गया

1 पसंद किया गया

चली जो पुतली लौन की, थाह सिंधु का लेन आपहू गली पानी भई, उलटी काहे को बैन।।  अर्थ : जब नमक सागर की गहराई मापने गया तो खुद ही उस खारे ...

अध्याय

×