कविता

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सुनो आज फ़िर लिखा हैं तुम्हें,  ना चाहते हुए भी जिक्र किया हैं तुम्हें,  सुनो आज फ़िर लिखा हैं तुम्हें,  हाथों पर सूनापन,  तुम्हारी हथेलियां अब अधूरापन,  सुनो आज फिर लिखा ...

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